लॉर्ड्स में खेले गए वर्ल्ड कप 2019 के फाइनल मुकाबले में अंपायर कुमार धर्मसेना द्वारा दिए गए विवादित ओवर-थ्रो वाले निर्णय का आईसीसी ने बचाव किया है। फाइनल मुकाबले में जब मार्टिन गप्टिल के थ्रो पर गेंद बेन स्टोक्स के बल्ले से लगकर बाउंड्री के बाहर चली गई थी तो कुमार धर्मसेना ने ओवर-थ्रो के छः रन दिए थे, जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हुई थी। अब आईसीसी उनके निर्णय के बचाव मे आई है। आईसीसी के अनुसार धर्मसेना द्वारा लिया गया फैसला सही प्रक्रिया के तहत लिया गया था।
इससे पहले धर्मसेना ने इस निर्णय को सर्वसम्मति से लिया गया फैसला बताया था। उन्होंने इस फैसले के बारे में अपने साथी अंपायर मरायस इरासमस से सलाह की थी जिसे बाकी मैच अधिकारियों ने भी सुना था, इसीलिए यह एक सयुंक्त निर्णय था।
आईसीसी के जनरल मैनेजर ज्यॉफ एलार्डिस ने क्रिकइंफो को दिए इंटरव्यू में कहा कि सबने मिलकर यह फैसला किया था। उन्होंने कहा,"मैदानी अंपायरों को यह निर्णय लेना था कि दोनों बल्लेबाज गेंद फेंके जाने से पहले एक-दूसरे को पार कर चुके हैं या नहीं। उस दौरान जो भी हुआ मैदानी अंपायरों ने मिलकर फैसला लिया। मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि इसके लिए सही प्रक्रिया का पालन किया गया था।"
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उन्होंने आगे कहा, "जब मैदानी अंपायर इस बात पर फैसला कर रहे तब वे नियमों से अच्छी तरह वाकिफ थे। इस तरह का फैसला थर्ड अंपायर या रेफरी के पास नहीं जाता है। मैच रेफरी इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है जब मैदानी अंपायर खुद कोई फैसला कर रहा होता है।
विश्व कप का खिताबी मुकाबला निर्धारित ओवरों तक बराबरी पर छूटा था, जिसके बाद सुपर ओवर खेला गया। इस सन्दर्भ में जनरल मैनेजर ने कहा,"सभी की सर्वसम्मति है कि विश्व कप फाइनल में विजेता तय होना चाहिए। सुपर ओवर का नियम भी पुराना है जो 2011, 2015 और 2019 तीनों विश्वकप में लागू किया गया ताकि विजेता का फैसला हो सके।"
आपको बता दें कि दिग्गज अंपायर साइमन टॉफेल ने कहा था कि वहां पर इंग्लैंड को 6 की बजाय 5 रन ही मिलने चाहिए थे,क्योंकि गप्टिल के थ्रो करने से पहले दोनों बल्लेबाज एक दूसरे को क्रॉस नहीं कर पाए थे। इसके बाद इसको लेकर काफी चर्चा हुई थी।
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