पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने देश की जनता को जबरदस्त सदमा दिया। इसका असर यह हुआ कि हर कोई आतंकवाद समर्थित पाकिस्तान के विरोध में खड़ा हो गया। पहले बॉलीवुड ने पाकिस्तानी कलाकारों पर बैन लगाने शुरू किए। इसके बाद आगामी क्रिकेट विश्व कप में भारत के पाकिस्तान से होने वाले मैच के बहिष्कार की मांग उठने लगी। हालांकि, इसमें लोगों ने अपनी अलग-अलग राय रखी। अब भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर का कहना है कि हमें पाकिस्तान के साथ ग्रुप मैच ही नहीं बल्कि अगर मौका पड़े तो टूर्नामेंट का फाइनल भी नहीं खेलना चाहिए।
गौतम गंभीर ने कहा कि विश्वकप में भारत-पाकिस्तान के बीच मुकाबला होना चाहिए या नहीं, यह तय करने का अधिकार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पास है। इस बाबत मेरी राय यह है कि अगर भारत पाकिस्तान के खिलाफ मैच नहीं खेलेगा तो विपक्षियों को मजबूत संदेश मिलेगा। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। मेरे मुताबिक, ग्रुप मैच के वो दो अंक महत्वपूर्ण नहीं हैं। क्रिकेट से ज्यादा हमारे लिए शहीद हुए सीआरपीएफ के 42 जवान महत्वपूर्ण हैं। यही नहीं, अगर भारत का पाकिस्तान से विश्वकप का फाइनल मुकाबला पड़ जाए, तब भी देश को उससे किनारा कर लेना चाहिए। मुझे लगता है कि हमारा देश इसके लिए तैयार है। हमें अपने फैसलों पर सपाट होना पड़ेगा। गोल-गोल घुमाकर बात नहीं करनी होगी। समाज के कुछ लोगों ने यह कहना भी शुरू कर दिया है कि राजनीति और खेल को अलग रखना चाहिए।
पद्म श्री पाने वाले गंभीर ने कहा कि पुलवामा में जो हुआ, वो बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत या तो पाकिस्तान के साथ सब कुछ प्रतिबंधित कर दे या फिर सारे प्रतिबंध तोड़ दे। अगर भारत के लिए आईसीसी टूर्नामेंटों का बहिष्कार करना मुश्किल हो रहा है तो हम एशिया कप में पाकिस्तान के साथ खेलना तो बंद कर ही सकते हैं। गंभीर ने उदाहरण पेश करते हुए कहा कि 2003 विश्वकप में इंग्लैंड ने रॉबर्ट मुगाबे शासन के विरोध में जिम्बाब्वे न जाने का फैसला किया था। अगर बीसीसीआई पाकिस्तान के खिलाफ मैच न खेलने का फैसला ले तो सभी को मानसिक रूप से इन दो बिंदुओं पर विचार करना ही पड़ेगा।
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