3 कारण जो बताते हैं कि क्यों वर्ल्ड कप 2019 में संघर्ष कर सकता है भारत

Neeraj
New Zealand v India - International T20 Game 3

साल 2019 को क्रिकेटिंग जगत का हाल का सबसे महत्वपूर्ण साल माना जा रहा है क्योंकि इसी साल क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट वर्ल्ड कप 2019 खेला जाना है। 2017 की शुरुआत में महेन्द्र सिंह धोनी द्वारा वनडे टीम की कप्तानी छोड़ने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम ने विराट कोहली की कप्तानी में शानदार प्रदर्शन किया है और खुद को वनडे क्रिकेट के सुपरपॉवर के रूप में उभारा है।

एशिया में अपने दबदबे के अलावा कोहली एंड कंपनी ने दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी सीरीज़ जीतने में सफलता हासिल की है। भले ही भारत को विश्व कप के प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा है लेकिन टीम में कुछ खामियां हैं जो टूर्नामेंट में निराशा का कारण बन सकती हैं। एक नजर उन 3 मुख्य कारणों पर जिनकी वजह से विश्व कप में भारत को संघर्ष करना पड़ सकता है।

#1 मध्यक्रम में निरंतरता की कमी

New Zealand v India - ODI Game 5

पाकिस्तान के खिलाफ 2017 में चैंपियन्स ट्रॉफी का फाइनल हारने के बाद से भारतीय टीम ने वनडे क्रिकेट में सबसे ज़्यादा निरंतरता दिखाई है। हालांकि, भारत के मध्यक्रम की अनिश्चितता उन्हें काफी दर्द दे सकती है। नंबर 4 पर बल्लेबाजी के लिए युवराज सिंह, मनीष पाण्डेय, केएल राहुल, सुरेश रैना, दिनेश कार्तिक जैसे बल्लेबाजों को आजमाने के बाद भारतीय टीम ने अंबाती रायुडु को इसके लिए उपयुक्त माना है।

रायुडु के आंकड़ों को देखें तो वह मध्यक्रम के लिए बेस्ट हो सकते हैं लेकिन आंकड़ें ही सबकुछ नहीं होते हैं। धोनी के साथ ही रायुडु भी पारी की शुरुआत में काफी डॉट गेंदे खेलते हैं जिससे कि विकेटों का पतन रोका जा सकता है लेकिन यह हमेशा फायदे का सौदा नहीं साबित हो सकता है।

हाइ- स्कोरिंग मुकाबले में उनके द्वारा खेले गए 10-15 डॉट गेदों से जीत हार का अंतर तय हो सकता है।इसके अलावा भारतीय टीम हाल के समय में आखिरी 10 ओवरों का भरपूर फायदा उठाने में नाकामयाब रही है।

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#2 स्विंग वाली कंडीशन में भारतीय ओपनर्स का खराब प्रदर्शन

India v Ireland - 2015 ICC Cricket World Cup

रोहित शर्मा और शिखर धवन ने ओपनिंग जोड़ी के रूप में शानदार प्रदर्शन किया है और पारी दर पारी उनके शानदार प्रदर्शन ने उन्हें वनडे क्रिकेट में वर्तमान समय की सबसे बेहतरीन ओपनिंग जोड़ियों में से एक बना दिया है। वनडे क्रिकेट में उनके दबदबे के बावजूद स्विंग लेने वाले कंडीशन में नई गेंद का सामना करने की उनकी क्षमता कई बार संदेह के घेरे में आई है।

श्रीलंका के खिलाफ धर्मशाला में खेला गया वनडे, इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स में खेला गया वनडे और फिर हैमिल्टन में खेले गए वनडे मुकाबले में भारतीय ओपनर्स स्विंग लेती गेंदों के सामने बेबस नजर आए। स्विंग करती गेंदों के सामने भारतीय ओपनर्स का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है जिससे मध्यक्रम पर काफी दबाव पड़ जाता है।

इंग्लैंड जैसी जगह पर हर मैच में हरी पिच मिलना लाजमी है तो वहां भारत के लिए यह बहुत बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है।

#3 पांचवें गेंदबाज की समस्या

New Zealand v India - ODI Game 5

हाल में भारतीय टीम को लिमिटेड ओवर क्रिकेट में जो भी सफलता मिली है उसका बड़ा क्रेडिट उनके गेंदबाजों को जाता है। जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार जैसे तेज गेंदबाजों ने कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की स्पिन जोड़ी के साथ मिलकर खुद को इस फॉर्मेट के सबसे भरोसेमंद गेंदबाज के रूप में स्थापित किया है।

हालांकि, भारत अक्सर अपने पांचवें गेंदबाज से उसका बेस्ट हासिल करने में असफल रहता है। पांचवें गेंदबाज की भूमिका के लिए केदार जाधव और हार्दिक पांड्या सबसे मजबूत दावेदार हैं लेकिन खास तौर से पांड्या पारी के अंत में काफी रन लुटाते हैं।

किसी भी मुकाबले में भारत के चार प्रमुख तेज गेंदबाजों में से किसी भी एक तेज गेंदबाज का दिन अच्छा नहीं रहा तो उनके लिए अपने गेंदबाजी विभाग को संतुलित कर पाना काफी कठिन हो जाएगा। यदि ऐसा होता है तो टूर्नामेंट के बाद के चरणों में भारत को इसका काफी नुकसान हो सकता है।

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Edited by निशांत द्रविड़
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