पाकिस्तान टीम के सलामी बल्लेबाज इमाम उल हक (Imam ul haq) ने अपने चाचा इंजमाम उल हक के साथ तुलना को लेकर बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि लोगों को उनसे सिर्फ इसलिए काफी ज्यादा उम्मीद थी क्योंकि वो इंजमाम उल हक के भतीजे हैं और इसी वजह से उनके ऊपर काफी दबाव भी आ गया। इमाम के मुताबिक उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर पाकिस्तान टीम में जगह बनाई है और इसमें इंजमाम उल हक ने कोई प्रभाव नहीं डाला।
इमाम उल हक के मुताबिक एक बार वो अपने चाचा इंजमाम उल हक से इस बारे में पूछना भी चाहते थे कि आखिर उनसे उनकी तुलना क्यों होती है। इमाम के मुताबिक अपने करियर के शुरूआती दिनों में इसकी वजह से उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
मैंने लंबे प्रोसेस के बाद पाकिस्तान टीम में जगह बनाई - इमाम उल हक
उन्होंने पाकिस्तान क्रिकेट से बातचीत में कहा 'अगर मैं ईमानदार हूं, मुझे लगा कि मुझे चाचू (इंजमाम) को बताना चाहिए। आखिर मेरी क्या गलती थी? हालांकि कई चीजें आपके जीवन में ना चाहते हुए भी आ जाती हैं। लोग कहते हैं कि मैंने इस स्थिति को काफी अच्छी तरह से हैंडल किया लेकिन ऐसा नहीं है। मैं केवल फ्लो के साथ चलता गया क्योंकि मेरे पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था। मैं काफी लंबे प्रोसेस के बाद पाकिस्तान टीम में आया था। मैंने अंडर-19 के दो वर्ल्ड कप खेले, 45 फर्स्ट क्लास मैच खेले और जब पहली बार मैं टीम में चुना गया था तो उस वक्त कायदे आजम ट्रॉफी में मेरा औसत 50 का था।'
इमाम उल हक ने आगे कहा 'मैं झूठ नहीं बोलूंगा लेकिन शुरूआत में प्रेशर हैंडल नहीं कर पाया था। मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। मैं यहां पर बाबर आजम का जिक्र करना चाहूंगा। उन्होंने मुझे सपोर्ट करने में अहम रोल अदा किया। हमने साथ में काफी क्रिकेट खेला है और कोई भी शंका होने पर हम एक दूसरे से बात करते थे।'