IND vs ENG: "रोहित शर्मा को वही काम करना होगा जो सचिन तेंदुलकर ने कई सालों तक किया था- हैदराबाद टेस्ट में हार के बाद आई दिग्गज की बड़ी प्रतिक्रिया

रोहित शर्मा पहले टेस्ट में खास कमाल नहीं दिखा पाए
रोहित शर्मा पहले टेस्ट में खास कमाल नहीं दिखा पाए

हैदराबाद में खेले गए पांच मैचों की टेस्ट सीरीज (IND vs ENG) के पहले मुकाबले में भारतीय टीम की हार के बाद प्रतिक्रियाओं का सिलसिला जारी है। इस दौरान कोई कप्तानी को जिम्मेदार ठहरा रहा है, तो कोई बल्लेबाजी पर भड़ास निकाल रहा है। इस बीच संजय मांजरेकर की भी प्रतिक्रिया आई है, जिनका मानना है कि इंग्लैंड के द्वारा दिए गए 231 के लक्ष्य को पीछा करते समय कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma) को अनुभवहीन भारतीय बल्लेबाजी को आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाना था, जैसा सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने अपने करियर के दौरान कई सालों तक किया था।

राजीव गाँधी इंटरनेशनल स्टेडियम में भारत अपनी दूसरी पारी में आसानी से हार मान गया और उसे 28 रनों से शिकस्त झेलनी पड़ी। लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम को अच्छी शुरुआत मिली थी लेकिन इसके बाद विकेटों का सिलसिला शुरू हुआ, जो आखिरी तक जारी रहा। इस दौरान रोहित शर्मा ने सबसे ज्यादा 39 रनों की पारी खेली लेकिन वह अपनी पारी को बड़े स्कोर में तब्दील करने से चूक गए और टॉम हार्टली की गेंद पर एलबीडबल्यू आउट हो गए।

ईएसपीएन क्रिकइंफो पर बातचीत के दौरान संजय मांजरेकर ने बताया कि कैसे सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में कई सालों तक इसी तरह की भूमिका निभाई। उन्होंने कहा,

आपने देखा कि यशस्वी जायसवाल ने 100 की स्ट्राइक रेट से 80 रन बनाए। दूसरी पारी में बिना किसी कारण के स्ट्राइक रेट 40 का रहा। एक कारण यह भी है कि वे दबाव महसूस करते हुए बल्लेबाजी के लिए आए थे। यहीं पर रोहित शर्मा को वह काम करना था जो सचिन तेंदुलकर ने कई वर्षों तक किया, एक ऐसा बल्लेबाज जो संभल कर खेले।

पूर्व खिलाड़ी ने आगे भारत के युवा बल्लेबाजों पर निशाना साधा और कहा कि उन लोगों ने साहस नहीं दिखाया और अतिरिक्त सावधानी वाला एप्रोच अपनाया। उन्होंने कहा कि यशस्वी जयसवाल, शुभमन गिल और श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ियों को स्थिति के बावजूद अपना स्वाभाविक खेल खेलने की आजादी दी जानी चाहिए। मांजरेकर ने कहा,

भारत ने एक बार फिर बहुत अधिक सावधानी बरतने की गलती की। अगर आपके पास यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल या श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ी हैं, जो खुद को आक्रामक खिलाड़ियों के रूप में पेश करते हैं, तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि स्थिति कैसी भी हो, उन्हें उस एप्रोच से चिपके रहना होगा क्योंकि यह एक ऐसी चीज है जिसके साथ वे अधिक सहज हैं। और अगर उस प्रयास में भारत एक मैच हार जाता है, तो फैंस को यह भी समझना होगा कि उन्होंने उस तरह खेलने की कोशिश की जिसमें वे अच्छे थे।

भारतीय टीम हार से सीरीज में 0-1 से पिछड़ गई है और अब उसके ऊपर अगले मैच में जोरदार वापसी का दबाव होगा। सीरीज का दूसरा मुकाबला 2 फरवरी से विशाखापट्नम में होना है।

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