भारतीय टीम (Indian Cricket Team) के टी20 वर्ल्ड कप में खराब प्रदर्शन के पीछे वर्कलोड तथा बायो-बबल की थकान को जिम्मेदार माना गया। इसी को देखते हुए आगामी समय में भारत अपने खिलाड़ियों के लिए रोटेशन पालिसी अपनाने की राह पर है। टीम के नए हेड कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) और रोहित शर्मा (Rohit Sharma) ने भी खिलाड़ियों को वर्कलोड को मैनेज करना महत्वपूर्ण बताया था। हालांकि पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव (Kapil Dev) रोटेशन पॉलिसी के इस्तेमाल से सहमत नहीं हैं। कपिल देव के मुताबिक खिलाड़ियों को आराम दिया जाना चाहिए लेकिन इसके लिए आपको रोटेशन पॉलिसी का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है।
भारत के पास ढेर सारे खिलाड़ी मौजूद हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा करने का हुनर रखते हैं। बेंच स्ट्रेंथ को देखते हुए तथा खिलाड़ियों के वर्कलोड को कम करने के न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 सीरीज और टेस्ट सीरीज से कुछ खिलाड़ियों को आराम दिया गया है। विराट कोहली टी20 सीरीज का हिस्सा नहीं हैं, जबकि रोहित टेस्ट सीरीज में नहीं नजर आएंगे।
कपिल देव ने अनकट पर कहा,
मैं इसके बारे में निश्चित नहीं हूं (भारतीय खिलाड़ियों को रोटेट करने पर)। मुझे लगता है कि बीसीसीआई के भीतर के लोग इस पर फैसला ले सकते हैं। इस पर किसी एक व्यक्ति की विचार प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए। खिलाड़ियों और बीसीसीआई अधिकारियों के एक समूह को बैठकर यह पता लगाना चाहिए कि कितना क्रिकेट खेलना है। यदि आप खिलाड़ियों को रोटेट करते हैं, तो यह आपको मुश्किल स्थिति में ला सकता है।
अगर रोटेशन पॉलिसी के कारण किसी फाइनल में रोहित और विराट को बाहर करना पड़ गया - कपिल देव
भारत ने इससे पहले 2012 में सीबी सीरीज के दौरान रोटेशन पॉलिसी का इस्तेमाल किया था। उस सीरीज में एमएस धोनी ने सचिन तेंदुलकर, वीरेंदर सहवाग और गौतम गंभीर के बीच यह पॉलिसी लागू की थी। हालांकि इसको लेकर उनकी आलोचना भी हुयी थी।
कपिल देव के मुताबिक रोटेशन पॉलिसी के कई नुकसान भी हो सकते हैं लेकिन अगर खिलाड़ियों को यही एक रास्ता नजर आता है तो फिर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा,
क्या होगा यदि यह एक फाइनल है और आपको रोहित और कोहली दोनों को ड्रॉप करने के लिए मजबूर किया जाता है? अंत में आलोचना होने वाली है। इसलिए यह रोटेशन नीति मेरी समझ के बाहर है। जैसा मैंने कहा, खिलाड़ियों के समूह को एक साथ आना चाहिए और अगर उन्हें लगता है कि यह आगे बढ़ने का सही तरीका है, तो क्यों नहीं।