भारतीय टीम को वेस्टइंडीज के खिलाफ चेन्नई में खेले गए पहले वनडे मुकाबले में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। वेस्टइंडीज ने आसानी से भारत को 8 विकेट से हरा दिया। पहले खेलते हुए भारतीय टीम ने निर्धारित 50 ओवरों में 8 विकेट के नुकसान पर 287 रन बनाए। कैरेबियाई टीम ने इस लक्ष्य को 47.5 ओवर में सिर्फ 2 विकेट खोकर हासिल कर लिया। शिमरोन हेटमायर ने 139 और शाई होप ने 102 रनों की नाबाद पारी खेली।
आइए जानते हैं इस मुकाबले में भारतीय टीम की हार के 5 प्रमुख कारण क्या रहे:
आखिर के ओवरों में तेजी से रन नहीं बना पाना:
80 रन पर 3 विकेट गंवाने के बाद ऋषभ पंत और श्रेयस अय्यर ने पारी को संभाला और बेहतरीन 114 रनों की जबरदस्त साझेदारी की। पंत ने 71 और अय्यर ने 70 रन बनाए। हालांकि ये दोनों ही बल्लेबाज आखिर के ओवरों तक नहीं खेल सके और 37वें और 40वें ओवर में आउट हो गए। इसके बावजूद भारतीय टीम के पास केदार जाधव, रविंद्र जडेजा और शिवम दूबे जैसे हिटर बल्लेबाज थे लेकिन ये खिलाड़ी तेजी से रन बनाने में नाकामयाब रहे।
केदार जाधव ने 35 गेंद में 40 और रविंद्र जडेजा ने 21 गेंद में 21 रनों का योगदान दिया और 48वें ओवर में 269 के स्कोर पर दोनों आउट हो गए। आखिरी ओवर में शिवम दुबे 9 रन बनाकर आउट हुए। भारतीय टीम ने अपने आखिरी 10 ओवर में सिर्फ 71 रन बनाये। यही वजह रही कि टीम 300 से ज्यादा का स्कोर नहीं बना पाई और वेस्टइंडीज ने आसानी से लक्ष्य को हासिल कर लिया।
वेस्टइंडीज के लिए पिच बनी मददगार
टॉस जीतकर वेस्टइंडीज के कप्तान किरोन पोलार्ड ने पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। उनका ये फैसला बिल्कुल सही साबित हुआ। सिर्फ 80 रन तक भारत के टॉप ऑर्डर के सभी दिग्गज बल्लेबाज पवेलियन में थे। पिच से गेंदबाजों को काफी मदद मिल रही थी और गेंद बल्ले पर ढंग से नहीं आ रही थी। विकेट काफी स्लो थी और वेस्टइंडीज के गेंदबाजों ने भी काफी धीमी गेंदबाजी करके बड़े शॉट नहीं लगाने दिए। यही वजह रही कि शुरुआती ओवरों में भारतीय बल्लेबाजों को काफी दिक्कत हुई।
वहीं जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ता गया पिच बल्लेबाजी के लिए अच्छी होती गई। इसी से वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों को शॉट खेलने में कोई दिक्कत नहीं हुई। खासकर स्पिनरों को इस पिच पर बिल्कुल भी मदद नहीं मिली। आपको जानकर हैरानी होगी कि चेन्नई की जो पिच स्पिनर्स के लिए जबरदस्त विकेट मानी जाती है, वहां एक भी स्पिनर विकेट नहीं ले पाया।
बीच के ओवरों में भारतीय गेंदबाजों द्वारा विकेट नहीं निकाल पाना:
चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के बाद से ही भारतीय टीम की ताकत रही है बीच के ओवरों में विकेट निकालना। कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की जोड़ी ने लगभग हर मैच में बीच के ओवरों में विकेट निकालकर दिए और इसी वजह से भारत ने वनडे क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
हालांकि पिछले काफी समय से कुलदीप और चहल की जोड़ी एक साथ नहीं खेल रही है और इसका असर भी देखने को मिला है। चेन्नई वनडे में भारत के गेंदबाज बीच के ओवरों में विकेट नहीं निकाल पाए और शाई होप और शिमरोन हेटमायर ने दूसरे विकेट के लिए 218 रनों की साझेदारी कर मैच को एकतरफा कर दिया।
शाई होप और शिमरोन हेटमायर की जबरदस्त बल्लेबाजी
वेस्टइंडीज की जीत के सबसे बड़े हीरो युवा शिमरोन हेटमायर और अनुभवी शाई होप रहे। इन दोनों ही बल्लेबाजों ने शतक लगाया और दूसरे विकेट के लिए 218 रनों की साझेदारी कर मैच विंडीज की झोली में डाल दिया। 29 के स्कोर पर पहला विकेट गिरने के बाद दोनों ही खिलाड़ियों ने काफी समझ-बूझ के साथ बल्लेबाजी की। हेटमायर जहां बड़े-बड़े शॉट लगा रहे थे तो वहीं शाई होप एकदम शांत स्वभाव में एक-एक रन लेकर स्ट्राइक रोटेट कर रहे थे। यही वजह रही कि बिना कोई खतरा मोल लिए दोनों ने अपनी टीम को जीत दिला दी।
भारतीय टीम की खराब फील्डिंग
भारतीय टीम की पहले वनडे में हार की प्रमुख वजह उनकी फील्डिंग भी रही। अब तक के वेस्टइंडीज के इस दौरे पर भारतीय फील्डिंग काफी खराब रही है और उसका खामियाजा उन्हें चेन्नई वनडे में भुगतना पड़ा। भारतीय खिलाड़ियों ने कई कैच छोड़ वहीं रन आउट का सुनहरा मौका भी गंवाया। कह सकते हैं कि अगर फील्डिंग अच्छी होती तो मैच का नतीजा शायद कुछ और भी हो सकता था।