वेस्टइंडीज के लिए पिच बनी मददगार
टॉस जीतकर वेस्टइंडीज के कप्तान किरोन पोलार्ड ने पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। उनका ये फैसला बिल्कुल सही साबित हुआ। सिर्फ 80 रन तक भारत के टॉप ऑर्डर के सभी दिग्गज बल्लेबाज पवेलियन में थे। पिच से गेंदबाजों को काफी मदद मिल रही थी और गेंद बल्ले पर ढंग से नहीं आ रही थी। विकेट काफी स्लो थी और वेस्टइंडीज के गेंदबाजों ने भी काफी धीमी गेंदबाजी करके बड़े शॉट नहीं लगाने दिए। यही वजह रही कि शुरुआती ओवरों में भारतीय बल्लेबाजों को काफी दिक्कत हुई।
वहीं जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ता गया पिच बल्लेबाजी के लिए अच्छी होती गई। इसी से वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों को शॉट खेलने में कोई दिक्कत नहीं हुई। खासकर स्पिनरों को इस पिच पर बिल्कुल भी मदद नहीं मिली। आपको जानकर हैरानी होगी कि चेन्नई की जो पिच स्पिनर्स के लिए जबरदस्त विकेट मानी जाती है, वहां एक भी स्पिनर विकेट नहीं ले पाया।
बीच के ओवरों में भारतीय गेंदबाजों द्वारा विकेट नहीं निकाल पाना:
चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के बाद से ही भारतीय टीम की ताकत रही है बीच के ओवरों में विकेट निकालना। कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की जोड़ी ने लगभग हर मैच में बीच के ओवरों में विकेट निकालकर दिए और इसी वजह से भारत ने वनडे क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
हालांकि पिछले काफी समय से कुलदीप और चहल की जोड़ी एक साथ नहीं खेल रही है और इसका असर भी देखने को मिला है। चेन्नई वनडे में भारत के गेंदबाज बीच के ओवरों में विकेट नहीं निकाल पाए और शाई होप और शिमरोन हेटमायर ने दूसरे विकेट के लिए 218 रनों की साझेदारी कर मैच को एकतरफा कर दिया।