Indian Cricketer Akash deep Life Journey: भारतीय क्रिकेटर आकाश दीप बांग्लादेश के खिलाफ अपना दूसरा टेस्ट मैच खेल रहे हैं। उन्होंने इसी साल इंग्लैंड के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया था। रांची में खेले गए उस टेस्ट मैच में आकाश दीप ने 3 विकेट हासिल किए थे। उस समय उनकी उम्दा गेंदबाजी की काफी तारीफ हुई थी। इसी वजह से बीसीसीआई ने उनके ऊपर भरोसा जताते हुए, एक बार फिर मौका दिया।
आकाश अब तक टीम मैनेजमेंट के भरोसे पर खरे उतरते नजर आ रहे हैं। मोहम्मद शमी की गैरमौजूदगी में उन्हें जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज जैसे गेंदबाजों से भी काफी कुछ सीखने को भी मिल रहा है। आकाश दीप की पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों लाइफ में काफी संघर्ष रहा है। यहां तक पहुंचने के लिए आकाश ने अपनों को भी खोया है। यहां तक कि आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने क्रिकेट को छोड़ने का भी मन बना लिया था। लेकिन शायद भगवान को कुछ और मंजूर था और इतना सब होने के बाद भी आकाश क्रिकेट की तरफ खिंचे चले आए।
पिता चाहते थे कि आकाश करें सरकारी नौकरी
आकाश दीप ने अपने जीवन में संघर्ष के कई दौर देखे हैं। आकाश को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था, शौक क्या क्रिकेट के प्रति जुनून था। लेकिन आकाश के पिता का सपना था कि आकाश सरकारी नौकरी करें। उन्होंने कई परीक्षाएं भी दीं, लेकिन क्रिकेट की वजह से पढ़ाई में उतना मन नहीं लगता था और ना ही आकाश अपनी पढ़ाई पर ध्यान देते थे। वह क्रिकेट के लिए ज्यादा समय निकालते थे।
आकाश को इस वजह से लोगों के ताने सुनने पड़ते थे। वह पूरे दिन क्रिकेट खेलते रहते थे जिसकी वजह से उनके दोस्तों के घरवाले भी उनकी बुराई करते थे। अपने बच्चों को उनसे दूर रहने की सलाह देते थे। लोग आकाश के सामने ही अपने बच्चों से कहते थे कि आकाश से दूर रहो।
2015 आकाश के जीवन मे भूचाल से कम नहीं था। उस साल उनके पिता का स्ट्रोक के कारण निधन हो गया और दो महीने बाद उनके भाई भी छोड़कर चले गए। आर्थिक तंगी का दौर शुरू हुआ, मां की देखभाल और घर खर्च के लिए आकाश ने तीन साल के लिए क्रिकेट से दूरी बना ली। बाद में आकाश को लगा कि वह क्रिकेट से ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकते हैं। इसके बाद उन्होंने क्रिकेट में फिर वापसी की और आज इस मुकाम पर पहुंचे।
आकाश के जीवन में उनके दोस्त का अहम योगदान
आकाश बताते हैं कि उनके एक दोस्त ने उनकी बहुत मदद की है। दोस्त ने ही उन्हें बुरे समय में काफी मदद की। जब आकाश को दुर्गापुर में क्लब क्रिकेट में खेलने का चांस मिला। दुर्गापुर में चाचा ने भी उनकी काफी मदद की। उन्होंने आकाश की हर तरह से मदद की और क्रिकेट के ऊपर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया।