हर साल ऐसे कई क्रिकेटर्स होते हैं, जो घरेलू क्रिकेट में लगातार मेहनत, प्रदर्शन और अपने लक की बदौलत राष्ट्रीय टीम में जगह बनाते हैं। एक प्रतिभावान क्रिकेटर के लिए अपना करियर संभालने के लिए लक की काफी ज़रूरत होती है। कई बार जो खिलाड़ी टीम से बाहर होते हैं, उन्हें थोड़ी किस्मत की ज़रूरत होती है।
2010 में रोहित शर्मा का टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू होने वाला था, लेकिन वो टॉस से 15 मिनट पहले वो चोटिल हो गए और उनकी जगह ऋद्धिमान साहा ने अपना डेब्यू किया। इसके अलावा 2019 वर्ल्ड कप में ही ऋषभ पंत भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे, लेकिन शिखर धवन के चोटिल होने के बाद वो टीम का हिस्सा बने और उन्हें वर्ल्ड कप में खेलने का मौका भी मिला।
आइये नज़र डालते हैं ऐसे खिलाड़ियों पर जिनके चोटिल होने की वजह से दूसरे क्रिकेटर को फायदा हुआ:
#) केएल राहुल ने ली मयंक अग्रवाल की जगह
भारत और इंग्लैंड के बीच इस समय 5 टेस्ट मैचों की सीरीज खेली गई। सीरीज से पहले ही नियमित सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल चोटिल होने के कारण बाहर हो गए और उसके बाद पहले टेस्ट से पहले कनकशन के कारण मयंक अग्रवाल भी बाहर हो गए थे। भारत ने फिर पहले टेस्ट में केएल राहुल को मौका दिया।
राहुल ने फिर इस मौके का शानदार तरीके से फायदा उठाया और नॉटिंघम में खेले गए पहले टेस्ट की पहली पारी में 84 और दूसरी पारी में 26 रन बनाए। इन्हीं महत्वपूर्ण पारियों के दम पर उन्होंने टीम में अपने चयन को साबित किया और यहां तक कि उन्होंने लॉर्ड्स में खेले गए दूसरे टेस्ट की पहली पारी में भी शानदार शतक जड़ा।
#3) क्रिस गेल ने ली डर्क नैनेस की जगह
साल 2011 में हुए आईपीएल की नीलामी में क्रिस गेल को किसी भी टीम ने नहीं खरीदा था, जिसका कारण था कि वो पूरे टूर्नामेंट के लिए टीम के लिए उपलब्ध नहीं हो सकते थे। हालांकि रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर में शामिल तेज गेंदबाज डर्क नैनेस चोटिल हो गए थे और उनकी जगह आरसीबी ने अपनी टीम में क्रिस गेल को शामिल किया।
क्रिस गेल ने 2011 आईपीएल में बेहतरीन प्रदर्शन किया और 600 से ज्यादा रन बनाए। गेल आरसीबी का हिस्सा 2017 तक रहे और इस बीच उन्होंने 5 शतक भी लगाए। गेल का रिकॉर्ड आईपीएल में काफी बेहतरीन है और टूर्नामेंट में सर्वाधिक स्कोर (175*) उन्हीं का है।
#2) राहुल द्रविड़ ने ली संजय मांजरेकर की जगह
संजय मांजरेकर एक अच्छे बल्लेबाज़ थे और उन्होंने भारत के लिए 37 टेस्ट में 2000 से ज्यादा रन बनाए। वो टीम के मिडल ऑर्डर के बल्लेबाज़ थे। साल 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट से पहले उनको चोट लग गई थी, जिसके बाद कर्नाटक के युवा बल्लेबाज़ राहुल द्रविड़ को टीम में जगह मिली। राहुल ने लॉर्ड्स में अपने करियर की शुरुआत की और 95 रन बनाए। उन्होंने टीम के लिए कई यादगार पारी खेली । उनका करियर 2012 में खत्म हुआ। हालांकि मांजरेकर ने उसके बाद कुछ ही मैच खेले और फिर उन्होंने संन्यास ले लिया।
#1) माइकल हसी ने ली जस्टिन लैंगर की जगह
माइकल हसी ने अपना फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में आगाज 1994-95 में किया था, तब से वो वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के लिए लगातार रन बना रहे थे, लेकिन उन्हें ऑस्ट्रेलिया की टीम में जगह बनाने के लिए 2005 तक का इंतज़ार करना पड़ा। जस्टिन लैंगर जोकि ओस्ट्रेलिया के लिए लगातार ओपनिंग किया करते थे, उन्हें चोट की वजह से वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले मैच से हटना पड़ा। 2001 के बाद यह पहला मौका था, जब ऑस्ट्रेलिया ने अपनी ओपनिंग जोड़ी बदली।
हसी ने पहले मैच में सिर्फ 1 और 29 रन बनाए, लेकिन होबर्ट में उन्होंने 137 रन बनाए और अपने चयन को सही साबित किया। उसके बाद कई साल तक वो टीम की जान बन गए। उन्हें 'मिस्टर क्रिकेट' के नाम से भी पुकारा जाता रहा। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लिए 50 की औसत से 19 शतक लगाए।