किंग्स XI पंजाब के सह-मालिक नेस वाडिया ने खुद के साथ आईपीएल में अपनी टीम को भी मुश्किल में डाल दिया है। जापान में छुट्टी के दौरान ड्रग्स रखने के मामले में नेस वाडिया को दो साल की सजा सुनाई गई है। आईपीएल का नियम है कि कोई टीम अधिकार किसी तरह के विवाद में शामिल न हो, जिससे बीसीसीआई, लीग, टीम या खेल की आलोचना हो और उसे शर्मिंदगी झेलनी पड़े। अब प्रशासकों की समिति (सीओए) ने बैठक कर किंग्स XI पंजाब से नेस वाडिया से निलंबित सजा के मामले के संबंध में लिखित जवाब मांगा है। पता चला है कि सीओए इस मामले को इंडियन प्रीमियर लीग की नैतिक समिति के हवाले नहीं करेगी।
बैठक की जानकारी के बारे में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रशासक समिति (सीओए) ने किंग्स XI के प्रबंधन से इस बारे में लिखित जवाब देने को कहा है। हालांकि, पूरे मामले से यह तो साफ जाहिर होता है कि घटना का लीग से सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी टीम के सह-मालिक की गिरफ्तारी से गलत छवि बनी है। इस बारे में एक बार जवाब दे दिया जाएगा तो फिर सीओए फैसला करेगी कि आगे क्या करना है।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी हमारे पास बीसीसीआई लोकपाल डीके जैन के रूप में एक नैतिक अधिकारी मौजूद है। अगर जरूरत पड़ी तो इस मामले को उनके सुपुर्द कर दिया जाएगा। साथ ही अन्य अधिकारियों को उनकी मदद में लगा दिया जाएगा। बीसीसीआई के अधिकारी का कहना है इससे पंजाब की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। नियम के मुताबिक, टीम या फ्रेंचाइजी का सदस्य अगर नियमों का उल्लंघन करता है तो लोकपाल या समिति उस टीम या फ्रेंचाइजी को प्रतिबंधित कर सकती है। नियम यह भी कहता है कि मामले को पहले कमिशन के पास भेजना चाहिए और फिर जांच के बाद कमिशन उसे बीसीसीआई लोकपाल के पास भेजेगा।
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