आईपीएल के इस सीजन में कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम का प्रदर्शन अभी तक मिला-जुला रहा है। उन्होंने कुछ मैच जीते हैं तो कुछ मुकाबले हारे भी हैं और प्वॉइंट्स टेबल में चौथे पायदान पर हैं। हालांकि इन सबके बीच एक चौंकाने वाली खबर निकलकर सामने आई। दिग्गज बल्लेबाज दिनेश कार्तिक ने कोलकाता नाइट राइडर्स की कप्तानी छोड़ दी है।
दिनेश कार्तिक ने अपने साथी खिलाड़ी इयोन मोर्गन को कोलकाता नाइटराइडर्स की कप्तानी सौंप दी है। इयोन मोर्गन को कोलकाता नाइटराइडर्स का कप्तान बनाने की मांग उठती रही है। केकेआर का प्रदर्शन शुरुआती कुछ मैचों में अच्छा नहीं रहा था उस समय दिनेश कार्तिक की जगह मोर्गन को कप्तान बनाने की मांग उठी थी। मोर्गन ने दिनेश कार्तिक की कप्तानी की तारीफ भी की थी लेकिन अब स्थिति बदल गई है और दिनेश कार्तिक ने खुद ही कप्तानी से अलग होकर खेलने का फैसला करते हुए इयोन मोर्गन को यह जिम्मा सौंप दिया है।
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दिनेश कार्तिक की कप्तानी इस सीजन खराब नहीं रही है। कोलकाता नाइटराइडर्स ने दिनेश कार्तिक की कप्तानी में इस सीजन अब तक 7 में से चार मुकाबले जीते हैं। अभी तक दिल्ली कैपिटल्स और मुंबई इंडियंस के अलावा अगर बाकी सभी टीमों से तुलना करें तो ये प्रदर्शन बेकार नहीं है। इसीलिए कार्तिक को कप्तानी नहीं छोड़नी चाहिए। ऐसा क्यों है आइए उसकी 3 वजहें हम आपको बताते हैं।
3 कारण क्यों दिनेश कार्तिक को केकेआर की कप्तानी नहीं छोड़नी चाहिए थी
3.इंडियन गेंदबाज ज्यादा होने से कम्यूनिकेशन की कमी
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केकेआर की टीम में ज्यादातर गेंदबाज भारतीय हैं और इनमें से भी कई सारे युवा गेंदबाज हैं। केवल पैट कमिंस के रूप में ही एक विदेशी तेज गेंदबाज टीम में है। प्रसिद्ध कृष्णा, शिवम मावी और कमलेश नागरकोटी जैसे युवा गेंदबाजों को शायद इयोन मोर्गन के साथ बातचीत करने और आपसी तालमेल बिठाने में ज्यादा दिक्कत हो।
दिनेश कार्तिक के कप्तान होने से ये खिलाड़ी आसानी से अपनी बात कह सकते हैं क्योंकि एक भारतीय कप्तान होने से युवा खिलाड़ी ज्यादा सहज रहते हैं।
2.लगातार कप्तान बदलने से टीम को नुकसान होने का डर
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दिनेश कार्तिक ने 2018 में केकेआर की कप्तानी संभाली थी। अपनी कप्तानी में 2 बार टीम को चैंपियन बनाने वाले गौतम गंभीर उस सीजन दिल्ली की टीम में चले गए थे और उसके बाद दिनेश कार्तिक को कप्तान बनाया गया था।
दिनेश कार्तिक ने उस सीजन टीम को प्लेऑफ तक पहुंचाया था और एक बल्लेबाज के तौर पर 49 से ज्यादा की औसत और 147 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट से 498 रन बनाए थे। इस सीजन भी उन्होंने उपयोगी पारियां खेली हैं। जब कोई कप्तान अपनी टीम को प्लेऑफ तक पहुंचाए तो उसे कुछ सीजन कप्तानी का मौका जरुर मिलना चाहिए। जल्दी-जल्दी कप्तान बदलने से टीम का संतुलन कभी सही नहीं बन पाता है। किंग्स इलेवन पंजाब की टीम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
1.बीच सीजन कप्तान बदलने से ड्रेसिंग रूम में पैनिक का माहौल
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जब किसी टीम का कप्तान बीच सीजन में ही कप्तानी छोड़ दे तो इससे लगता है कि उस टीम में सबकुछ सही नहीं है। भले ही वो टीम प्वॉइंट्स टेबल में टॉप-4 में ही क्यों ना हो। दिनेश कार्तिक के कप्तानी छोड़ने से केकेआर की टीम में भी सभी खिलाड़ियों के अंदर असुरक्षा की भावना जगी होगी और ये किसी भी टीम के लिए अच्छा संकेत नहीं होता है। इसकी वजह से टीम का प्रदर्शन और भी खराब हो जाता है।