दिल्ली कैपिटल्स (Delhi Capitals) के ओपनर पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) ने अपने छोटे से करियर में काफी गंभीर चोट झेली है। दिल्ली कैपिटल्स फ्रेंचाइजी ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें पृथ्वी शॉ ने अपनी सबसे खराब चोट के बारे में खुलकर बताया है।
शॉ ने कहा कि 2018 में ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज से पहले उनके टखने में चोट लगी थी, जो उनकी अब तक की सबसे खतरनाक चोट है। पृथ्वी शॉ ने वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू में शतक जमाया था और फिर वह ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए थे।
हालांकि, लेटरल लिगामेंट चोट के कारण शॉ दौरे से बाहर हो गए थे। भारतीय टीम ने तब ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतकर इतिहास रचा था। पृथ्वी शॉ ने कहा, 'मैं साढ़े तीन महीने बाहर रहा और वो मेरे लिए बड़ा टूर्नामेंट था।'
पृथ्वी शॉ सिडनी में अभ्यास मैच के दौरान डीप मिडविकेट पर कैच लेने के प्रयास में चोटिल हुए थे। अपनी चोट के बारे में बात करते हुए पृथ्वी शॉ ने कहा, 'ऑस्ट्रेलिया में खेलना, वो मेरे लिए बड़ा टूर्नामेंट था। मैं तब एकदम युवा था और सभी लोगों का ध्यान मुझे खेलते हुए देखने पर था।'
बता दें कि पृथ्वी शॉ को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के दौरान बड़ा धमाका माना जा रहा था।
बर्फ की बाल्टी में पैर रखकर नींद लेता था: पृथ्वी शॉ
पृथ्वी शॉ ने बताया कि वह अपने रिहैब के लिए बेंगलुरु की नेशनल क्रिकेट एकेडमी लौटे थे।
उन्होंने कहा, 'सभी फिजियो ने मेरे टखने का ख्याल रखा। हर 20 मिनट में मुझे बर्फ की बाल्टी में पैर रखना होता था। कभी तो मैं बर्फ की बाल्टी में पैर डालकर नींद ले लेता था। उस समय मेरे लिए बर्फ लगाना बहुत जरूरी था क्योंकि मेरे तीनों लिगामेंट चले गए थे। मगर मैंने बहुत जल्दी रिकवरी कर ली। उन्होंने कहा कि मेरी हड्डियां जल्दी ठीक हो रही हैं। मैं पांच महीने तक बाहर रहता, लेकिन तीन महीने में ही ठीक हो गया, तो मैं बहुत खुश हुआ।'
पृथ्वी शॉ ने अपने पिता को श्रेय दिया, जो पूरे समय उनके साथ रहे और चोट से ठीक होने में मदद की क्योंकि मानसिक रूप से उन पर चोट का बोझ बढ़ रहा था। शॉ ने कहा कि पापा हमेशा फोन पर रहते थे और बोलते थे कि जिंदगी में ऐसी चीजें होती हैं और सब ठीक हो जाएगा।