भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली (Virat Kohli) ने पिछले ही दिनों अपने एक फैसले से हर किसी को हैरान कर दिया। विराट कोहली ने पिछले हफ्ते अचानक ही टेस्ट की कप्तानी छोड़ने की घोषणा कर दी। उनके इस फैसले से पूरा क्रिकेट जगत चकित रह गया। कोहली के कप्तानी छोड़ने को लेकर अलग-अगल प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं और अब इंग्लैंड के दिग्गज केविन पीटरसन (Kevin Pietersen) ने भी प्रतिक्रिया दी है।
विराट कोहली भारत के लिए पिछले 7 साल से टेस्ट में कप्तानी कर रहे थे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेली गई 3 मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-2 से मिली हार के बाद अगले ही दिन टेस्ट की कप्तानी छोड़ने का ऐलान कर दिया। कोहली ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए अपनी इस फैसले की जानकारी दी।
केविन पीटरसन को विराट कोहली के कप्तानी छोड़ने के फैसले पर ज्यादा हैरानी नहीं हुई। पीटरसन का मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों में बायो-बबल के बीच खेलना किसी भी खिलाड़ी के लिए काफी मुश्किल है।
ओमान में खेले जा रहे लीजेंड्स लीग क्रिकेट में वर्ल्ड इलेवन की तरफ से हिस्सा लेने आए पीटरसन से पीटीआई के साथ हुए एक इंटरव्यू के दौरान कोहली के फैसले को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा,
जो लोग मॉडर्न टाइम के खिलाड़ियों की आलोचना करते हैं, मुझे लगता है कि वे मूर्ख हैं क्योंकि इन बायो-बबल में खेलना बहुत मुश्किल है।
बहुत कठोर होना, आलोचनात्मक होना बहुत अनुचित होगा। क्योंकि आपने विराट कोहली को नहीं देखा है। कोहली को क्राउड की जरूरत है, वह प्रेरित होते हैं, वह एक एंटरटेनर हैं। मुझे लगता है कि उनके व्यक्तित्व के लिए उनकी (कोहली की) क्षमताओं (बबल में) का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना बहुत मुश्किल है।
पीटरसन ने बायो बबल को लेकर आगे कहा
बहुत सारे खिलाड़ियों को नुकसान हुआ है। यह दुनिया का सबसे बड़ा काम है। लेकिन जब आप उन्हें बायो बबल में डालते हैं, तो यह निश्चित रूप से सबसे बड़ा काम नहीं है क्योंकि इसमें कोई मजा नहीं है।
ऐसे माहौल में लीडरशिप की जिम्मेदारी दबाव बढ़ाती है - केविन पीटरसन
केविन पीटरसन ने कहा कि उन्हें विराट के फैसले से कोई हैरानी नहीं है। बबल लाइफ में खेलना आसान नहीं और कप्तानी की भूमिका आप पर अतिरिक्त दबाव डालती है। उन्होंने कहा,
मैं वास्तव में हैरान नहीं हूं कि विराट उस अतिरिक्त दबाव से थोड़ा सा ब्रेक चाहते हैं क्योंकि इन बबल में खेलना बहुत मुश्किल है।
सभी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को आंकना बहुत मुश्किल है, चाहे वह प्रीमियर लीग फ़ुटबॉल खिलाड़ी हों या दुनिया का कोई भी खिलाड़ी, महामारी में खेल रहा हो।