पूर्व भारतीय चयनकर्ता किरण मोरे ने एमएस धोनी के बारे में बात करते हुए इस बात का खुलासा किया कि किस तरह उन्होंने धोनी की खोज की और कैसे उन्होंने सौरव गांगुली को धोनी को विकेटकीपिंग करने देने के लिए मनाया। पूर्व भारतीय खिलाड़ी मोरे ने कहा कि उस समय हमें एक ऐसे आक्रामक विकेटकीपर की तलाश थी जो राहुल द्रविड़ की जगह ले सके और हमारी तलाश धोनी पर जाकर खत्म हुयी। आप में से कई लोगों को इस बात का नहीं पता होगा कि वह मोरे ही थे, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर धोनी के हुनर की पहचान की थी।
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द कर्टली एंड करिश्मा शो में बोलते हुए, किरण मोरे ने कर्टली एम्ब्रोस और करिश्मा कोटक को बताया कि उन्होंने एमएस धोनी का पता कैसे लगाया। उन्होंने कहा, "हमें विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश थी। उस समय फॉर्मेट बदल रहा था और और हम एक पावर हिटर की तलाश कर रहे थे , कोई ऐसा जो नंबर 6 या 7 पर आकर तेजी से 40-50 रन बना सके। राहुल द्रविड़ ने विकेटकीपर के रूप में 75 वनडे मैच खेले और उन्होंने 2003 का विश्व कप भी खेला। इसलिए हम एक विकेटकीपर के लिए बेकरार थे।"
किरण मोरे ने बताया कि किस तरह उन्होंने धोनी को लेकर गांगुली को समझाया
मोरे ने बताया कि उस समय ईस्ट जोन के लिए दीपदास गुप्ता विकेटकीपर थे, जो भारत के लिए भी अपना डेब्यू कर चुके थे। उनकी जगह फाइनल में धोनी को विकेटकीपिंग करने देने के लिए गांगुली को मनाने के लिए उन्हें दस दिन का समय लगा था।
मोरे ने बताया, "मेरे सहयोगी ने पहले उसे देखा, फिर मैंने जाकर उसे देखा। मैं विशेष रूप से वहां गया और उसे टीम के कुल 170 रनों में से 130 रन बनाते देखा। हम चाहते थे कि फाइनल में वह विकेटकीपर के रूप में खेले। तब उस समय मेरी सौरव गांगुली और दीपदास गुप्ता से काफी बहस हुयी, जो भारत के लिए भी खेले थे और कलकत्ता से थे। इस तरह मुझे सौरव और उनके चयनकर्ताओं को फाइनल में दीपदास गुप्ता से विकेटकीपिंग ना कराने और एमएस धोनी को कीपिंग करने देने के लिए समझाने में दस दिन लग गए।"
मोरे ने आगे बताया कि इसके बाद एमएस धोनी ने ईस्ट जोन के लिए नार्थ जोन के खिलाफ मुकाबले में कीपिंग की और बल्लेबाजी के दौरान उन्होंने नार्थ जोन के सभी गेंदबाजों के खिलाफ रन बटोरे, जिसमें आशीष नेहरा भी शामिल थे। इसके बाद हमने उसे इंडिया ए के साथ केन्या भेजा जहां उसने त्रिकोणीय सीरीज में लगभग 600 रन बनाये।