भारत के दोनों वन-डे वर्ल्ड कप जीतने के पैटर्न पर एक नज़र

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#2. मजबूत, समझदार और सहज कप्तान:

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कहते हैं कोई टीम तब मजबूत होती है जब उस टीम का कप्तान मजबूत हो। कपिल देव और महेंद्र सिंह धोनी इस कहावत पर बिल्कुल खरे उतरते हैं। दोनों ही कप्तानों के अंदर आत्मविश्वास था और तुरंत निर्णय लेने की क्षमता थी। यह बात इससे सिद्ध होती है कि 2011 वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में महेंद्र सिंह धोनी खुद युवराज सिंह से पहले उतरे थे, जबकि युवराज सिंह अच्छे फॉर्म में थे। इसके अलावा कपिल देव जिम्बाब्वे के खिलाफ सातवें स्थान पर बल्लेबाजी करने उतरे थे जब जिम्बाब्वे के गेंदबाजों ने 17 रन पर 5 विकेट गिरा दिए थे। दोनों ही कप्तान खेल को समझते थे फिर उस हिसाब से निर्णय लेकर काम करते थे।

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#3. शानदार ऑलराउंडर:

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जब मोहिंदर अमरनाथ को 1983 की वर्ल्ड कप टीम में शामिल किया गया था तो यह सबसे कठिन फैसला था क्योंकि मोहिंदर अमरनाथ ने 3 साल बाद वनडे क्रिकेट में वापसी की थी। वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के खिलाफ उनके अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए टीम में शामिल किया गया था। इसके अलावा अगर युवराज सिंह की बात करें तो साल 2010 उनके पिछले 10 सालों के करियर का सबसे खराब साल था लेकिन उन्हें वर्ल्ड कप में मौका दिया गया। मोहिंदर अमरनाथ ने सेमी फाइनल और फाइनल में अच्छा प्रदर्शन किया जबकि युवराज सिंह ने भी क्वार्टरफाइनल में शानदार प्रदर्शन किया था।

नोट: दोनों ही वर्ल्ड कप में भारत ने बुधवार को सेमीफाइनल खेला था।

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Edited by Naveen Sharma
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