महेंद्र सिंह धोनी और विशाखापट्टनम के साथ उनका जुड़ाव

भारतीय क्रिकेट टीम कल श्रीलंका के खिलाफ एकदिवसीय सीरीज का तीसरा मैच खेलेगी। दोनों ही टीमें सीरीज का एक-एक मैच जीतकर बराबरी पर हैं, ऐसे में कल होने वाला मैच काफी रोमांचक होने की उम्मीद है। कल का मैच विशाखापट्टनम में खेला जाएगा जिससे भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की काफी यादें जुड़ी हुई हैं। धोनी का विशाखापट्टनम से काफी खास कनेक्शन रहा है, इस मैदान पर उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ यादगार पारी खेली थी। आइए जानते हैं कि धोनी की क्या यादें विशाखापट्टनम के इस मैदान से जुड़ी हुई हैं। साल 2004 में धोनी नए-नए भारतीय टीम में शामिल हुए थे। घरेलू क्रिकेट में उनका प्रदर्शन काफी बढ़िया रहा था जिसके बाद उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में जगह दी गई। हालांकि धोनी के अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत उतनी अच्छी नहीं रही थी। बांग्लादेश के खिलाफ 23 दिसंबर 2004 को खेले गए अपने पहले मुकाबले में धोनी बिना खाता खोले रन आउट हो गए थे। मोहम्मद कैफ के साथ तालमेल की कमी के चलते उनको अपना विकेट गंवाना पड़ा। अपने पहले ही मैच में शून्य पर आउट होने के बाद धोनी काफी निराश थे और इसके आगे के दो मैचों में भी वो फ्लॉप रहे। दूसरे मैच में भी वो फ्लॉप रहे और 16 गेंदों पर 12 रन बनाकर आउट हो गए। तीसरे मैच में उनको बहुत बाद में बल्लेबाजी का मौका मिला और वो 7 रन बनाकर नाबाद रहे। इसे भी पढ़ें: वनडे में भी बादशाहत बरक़रार रखने के इरादे से उतरेगी टीम इंडिया बांग्लादेश के बाद भारत का मुकाबला अपने घरेलू मैदान पर चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से था। कोच्चि में खेले गए पहले मैच में एक बार फिर से धोनी के बल्ले से रन नहीं निकले थे और वो महज 3 रन बनाकर आउट हो गए थे। हालांकि भारतीय टीम ने वो मैच 87 रनों से जीता था। दूसरा मैच विशाखापट्टनम में खेला जाना था और धोनी के ऊपर टीम से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा था, क्योंकि पिछले कई मैचों से उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। धोनी के ऊपर बनाई गई फिल्म एम एस धोनी-द् अनटोल्ड स्टोरी में दिखाया गया है कि इसी दौरान विशाखापट्टनम जाते वक्त फ्लाइट में उनकी गर्लफ्रैंड से उनकी मुलाकात हुई थी। हालांकि इस घटना के बाद धोनी का भाग्य बदला और उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ धुंआधार शतक जड़ दिया। दरअसल उस मैच में भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली ने धोनी को तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजा और उनका ये फैसला मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ। पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम को 26 के स्कोर पर ही बड़ा झटका लग गया। महज 2 रन बनाकर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर रन आउट हो गए। तीसरे नंबर पर धोनी को प्रमोट करके भेजा गया। विकेट पर आते ही धोनी ने ताबड़तोड़ रन बनाना शुरु कर दिया। उन्होंने वीरेंदर सहवाग के साथ दूसरे विकेट के लिए 96 रनों की साझेदारी की। सहवाग ने उस मैच में 40 गेंदों पर 74 रनों की धुआंधार पारी खेली थी। सहवाग के आउट होने के बाद धोनी विकेट पर टिके रहे और अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का पहला शतक जड़ा। उन्होंने 123 गेंदों पर 15 चौके और 4 छक्के लगाते हुए 148 रनों की बेहतरीन पारी खेली। इसकी वजह से भारतीय टीम ने 356 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा किया और भारतीय टीम ने ये मैच 58 रनों से जीता। धोनी की इस पारी के बाद उनका करियर आगे बढ़ता चला गया और उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पाकिस्तान के खिलाफ उस सीरीज के बाद अगली बार जब धोनी विशाखापट्टनम के मैदान में उतरे तो कप्तान बनकर उतरे। धोनी खुद इस मैदान को काफी पसंद करते हैं और इसको लेकर उन्होंने ट्वीट भी किया था।

धोनी जब श्रीलंका के खिलाफ तीसरे वनडे मैच में बल्लेबाजी के लिए उतरेंगे तो एक बार फिर से उनके पास अपने पसंदीदा मैदान पर एक नया कीर्तिमान बनाने का मौका होगा। दरअसल धोनी को एकदिवसीय क्रिकेट 10 हजार रनों का आंकड़ा छूने के लिए 102 रन और चाहिए, ऐसे में एक बड़ी पारी उनको इस मुकाम तक पहुंचा सकती है।

Edited by Staff Editor