माइकल स्लेटर (Michael Slater) ने हाल ही में स्वीकार किया कि ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) के खिलाफ पब्लिक प्लेटफॉर्म पर मौखिक रूप से हमला करने का उन्हें खेद है। स्लेटर का मानना है कि इस एक्शन के कारण शायद उन्हें चैनल 7 क्रिकेट ब्रॉडकास्ट की कमेंट्री टीम से बाहर किया गया है।
आईपीएल के पहले हाफ के दौरान कोविड महामारी के कारण ऑस्ट्रेलिया में यात्रा पाबंदी रखी गई थी। तब निराश स्लेटर ने ऑस्ट्रेलिया नहीं लौटने का आरोप मॉरिसन पर लगाया था। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ने घटना के संबंध में कहा था कि मॉरिसन के हाथों में खून है।
इन सब के बाद माइकल स्लेटर ने अपने मौखिक हमले का स्पष्टीकरण दिया था, लेकिन साथ ही खुलासा किया कि वह किसी भी चीज के लिए माफी नहीं मांगेंगे।
द संडे टेलीग्राफ में इंटरव्यू के दौरान स्कॉट मॉरिसन पर किए कमेंट को लेकर माइकल स्लेटर ने कहा, 'मैं अपमान नहीं करना चाहता था। मैं बहुत भावुक था और लोग जानते हैं कि मैं चीजें विभिन्न तरह से संभालता हूं। मैं उस समय अचंभित था। अगर मेरे पास फिर से समय होता, तो यह ध्यान में रखते हुए कि चैनल 7 पर मेरे साथ जो कुछ हुआ है, उसका एक लिंक हो सकता है, नहीं, तो मैं ऐसा दोबारा नहीं करूंगा।'
यह देखना दिलचस्प होगा कि चैनल 7 निकट भविष्य में माइकल स्लेटर को कमेंट्री टीम में दोबारा शामिल करेगा।
हमारे साथ ऐसा बर्ताव करने की आपकी हिम्मत कैसे हुई: माइकल स्लेटर
आईपीएल का पहला हाफ निलंबित होने के बाद जब ऑस्ट्रेलिया में यात्रा पाबंदी के कारण स्लेटर को तुरंत घर आने की अनुमति नहीं मिली थी, तब पूर्व क्रिकेटर ने कथित तौर पर प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन को खरी-खरी सुनाई थी।
बायो-बबल में विभिन्न कोविड मामले सामने आने के बाद आईपीएल को बीच में ही अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। ऑस्ट्रेलियाई सरकार पर भड़ास निकालते हुए स्लेटर ने कहा था, 'अगर हमारी सरकार ऑस्ट्रेलियाईयों की सुरक्षा का ख्याल करती तो हमें घर आने की अनुमति देती। यह शर्मनाक है। आपके हाथों में खून है पीएम।'
स्लेटर ने आगे कहा, 'हमारे साथ ऐसा बर्ताव करने की आपकी हिम्मत कैसे हुई। आप पृथकवास प्रणाली को कैसे सुलझाते हैं। आईपीएल में काम करने के लिए मेरे पास सरकार की अनुमति थी और अब मुझे सरकार नजरअंदाज कर रही है। और वो लोग जो सोचते हैं कि यह पैसों के लिए है। भूल जाइए। मैं जीने के लिए यह करता हूं और टूर्नामेंट जल्दी छोड़ने के कारण मुझे कोई रकम नहीं मिली। तो कृपया करके अभद्र भाषा का प्रयोग करना बंद कीजिए और उन हजारों के बारे में सोचिए जो भारत में रोजाना मर रहे हैं। इसे सहानुभूति कहते हैं। काश हमारी सरकार के पास कुछ होता!'
याद दिला दे कि ऑस्ट्रेलियाई दल को पहले मालदीव्स में कुछ दिन क्वारंटीन होना पड़ा था और इसके बाद वह अपने घर लौट सके थे।