क्रिकेट के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया (Australia) के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग (Ricky Ponting) को एक महान खिलाड़ी माना जाता है। ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी भी उन्होंने की और दो वनडे विश्व कप लगातार पोंटिंग की टीम ने जीते। 2011 में टीम के वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद पोंटिंग ने कप्तानी छोड़ी और माइकल क्लार्क ने उनकी जगह पद संभाला। क्लार्क का कहना है कि पोंटिंग के खराब समय में वह उनके लिए लिए लड़े और साथ भी खड़े हुए थे।
इस कंगारू खिलाड़ी ने कहा कि जब मैंने कप्तानी संभाली, तो रिकी को टीम में रखने के लिए लड़ाई की। चयनकर्ताओं ने कहा कि बहुत कम मौकों पर कप्तान खड़े होकर टीम में रहते हैं। आप असहज महसूस नहीं करते हैं, तो अब रिकी के जाने का समय आ गया है। मैंने कहा कि हमें उनकी जरूरत है, उनकी बैटिंग की जरूरत है। वह हमारे लिए एक अन्य कोच की तरह होंगे। मैं उन्हें टीम में चाहता था और उनके लिए मैं भिड़ गया। मुझे लगता था कि युवा जनरेशन को जिस स्तर तक लाना चाहिए था, उसमें पोंटिंग का बड़ा योगदान रहा।
माइकल क्लार्क का पूरा बयान
क्लार्क ने यह भी कहा कि अगर वह बल्लेबाजी में अपना 80 फीसदी भी देते थे, तो अन्य किसी भी खिलाड़ी से नम्बर 3 और 4 पर वह बेहतर थे।
गौरतलब है कि पोंटिंग ने अंततः नवंबर 2012 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई ली और इस संन्यास के साथ ही एक महान युग का अंत हुआ। क्लार्क ने भी अपने कार्यकाल के दौरान एक सराहनीय काम किया और ऑस्ट्रेलिया को कई जीत के लिए निर्देशित किया। उन्होंने 2015 में विश्व कप में मेन इन येलो का नेतृत्व भी किया। उस वर्ष विश्वकप में खिताबी जीत के बाद माइकल क्लार्क ने भी अपने संन्यास का ऐलान कर दिया। क्लार्क ने पोंटिंग की कप्तानी में खेलना शुरू किया था।