पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और कोच मिस्बाह उल हक (Misbah Ul Haq) ने टीम से बाहर निकाले जाने पर अपने खेलने का सामान जला दिया था। इस बारे में उन्होंने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उन्होंने क्यों ऐसा किया था। पाक टीम से बाहर करने के बाद मिस्बाह ने सोचा था कि अब खेलने का कोई फायदा नहीं है और सामान जला बैठे।
शोएब अख्तर के यूट्यूब चैनल बातचीत करते हुए मिस्बाह ने कहा कि जब 2010 में पाकिस्तान की टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया था उस समय 35 खिलाड़ियों का चयन किया गया था और मैं टीम का हिस्सा नहीं था। उस समय मुझे लगा कि जब इतने नामों में भी शामिल नहीं किया गया है तो फिर खेलने का क्या फायदा है और मैंने वह कदम उठाया। मिस्बाह उस समय टीम से बाहर किये जाने के बाद दुखी हो गए थे।
इसके अलावा उन्होंने अपने बल्लेबाजी क्रम को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि मैं नीचे इसलिए बैटिंग करता था क्योंकि मैं तेज गेंदबाजों से ज्यादा स्पिनरों और पुराने गेंद को अच्छी तरह खेलता था। ऊपरी क्रम में खेलने के लिए दो ओपनर होते हैं और तीसरा खिलाड़ी भी ओपनर की तरह ही होता है। मैं अंत में हिटिंग भी कर सकता था इसलिए मैं हमेशा से नीचे खेलने लगा। बीच में मैंने नम्बर चार पर भी खेला लेकिन ज्यादातर मैंने निचले क्रम में खेलने को ही प्राथमिकता दी।
मिस्बाह ने कप्तानी मिलने की बात को लेकर भी कहा कि मैं टीम से बाहर था और मुझे बुलाकर पूछा गया कि हम कप्तान बदलने पर विचार कर रहे हैं। आपको कप्तान बनाना चाहते हैं। एक बार तो मैं हैरान हुआ लेकिन बाद में सोचा कि अगर कुछ भी सही नहीं जा रहा है तो एक बार कप्तानी करके भी देखा जाए। उम्र भी वैसे 35 से पार हो गई।