Indian cricketer Mohammad Amaan struggle story: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाली आगामी सीरीज के लिए सहारनपुर के निवासी मोहम्मद अमान को अंडर-19 भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया है। भारत के कई युवा क्रिकेटर इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत संघर्ष करते हैं। कोई छोटे से गांव से निकलकर अपनी कहानी लिखता है, तो कोई गरीबी को मात देकर यहां तक पहुंचा है।भारत के इस युवा खिलाड़ी की कहानी बहुत ही भावुक कर देने वाली है। अमान ने बचपन से ही संघर्ष किया है। वह 16 साल की उम्र में ही अनाथ हो गए थे। हालांकि अमान ने किसी भी मजबूरी को अपने करियर के आगे नहीं आने दिया और अमान ने जो कर दिखाया वह पूरी दुनिया के सामने है। इसी कड़ी में आपको भारतीय क्रिकेटर अमान के जीवन के कुछ किस्से बताएंगे, जो किसी के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं।16 साल की उम्र में हो गए थे अनाथमोहम्मद अमान उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले हैं। 16 साल की उम्र में अमान अनाथ हो गए थे। उनकी मां सायबा का 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान निधन हो गया था। वहीं, मां की मौत के दो साल बाद उनके पिता मेहताब का निधन साल 2022 में हो गया था। अमान 16 साल की उम्र में अनाथ हो गए थे। अमान अपने भाई बहनों में सबसे बड़े थे। माता- पिता की मौत के बाद उन्होंने अपने तीन छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी को संभाला।घर की जिम्मेदारी के साथ- साथ उन्होंने अपने खेल को भी जारी रखा और आज वह इस मुकाम पर पहुंच गए। 18 साल की उम्र में मोहम्मद अमान ने कई उपलब्धियां हासिल कर ली हैं। अमान बेहतरीन बल्लेबाज के साथ- साथ तेज गेंदबाज भी हैं। बता दें, इससे पहले नवंबर 2023 में हुए एशिया कप में अमान अंडर-19 टीम का हिस्सा रह चुके हैं। View this post on Instagram Instagram Postजिस दिन पिता इस दुनिया से गए उस दिन मैं बड़ा हो गया था- अमानमोहम्मद अमान ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि जिस दिन मैंने अपने पिता को खोया, उस दिन मैं अचानक एक दिन में ही बड़ा हो गया। उन्होंने कहा था,मुझे बस अपने छोटे भाई- बहन दिख रहे थे और उनकी जिम्मेदारी थी मुझ पर। माता- पिता के जाने के बाद मैने क्रिकेट छोड़ने का निर्णय कर लिया था और मैने अपने परिवार को चलाने के लिए नौकरी देखना शुरू कर दी थी। काफी समय तक मुझे नौकरी तो नहीं मिली थी लेकिन कुछ लोग ऐसे मिले जिन्होंने मेरी मदद की। एक समय ऐसा भी था, जब पूरे परिवार को भूखा सोना पड़ता था। मैं ट्रेन के जनरल डिब्बे में सफर करता था। कभी- कभी जनरल डिब्बों में भी जगह नहीं होती थी तो शौचालय के पास बैठता था। लेकिन वक्त बदला जब मैं फ्लाइट से सफर करता हूं और किसी अच्छे होटल में रूकता हूं, तो मैं बस भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं। भगवान मेरे साथ हैं आज मैं जिस मुकाम पर हूं मेरे भगवान और माता- पिता के आर्शीवाद से हूं।