यूं तो सप्ताह की शुरुआत आम दिनों जैसी ही थी, लेकिन क्रिकेट फैंस और भारतीय क्रिकेट के लिए यह किसी दीवाली से कम नहीं थी। सिडनी में चौथे टेस्ट मैच के आखिरी दिन जो हुआ वह भारतीय क्रिकेट के इतिहास में स्वर्णीम अक्षरों के रूप में जो दर्ज हो गया। इस पल का इंतजार देश और भारतीय टीम कई दशकों से कर रही थी। अततः इंतजार पूरा हुआ और वो लम्हा भी आ गया जब भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में मात देकर जीत की नई इबादत लिख दी।
भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पहला टेस्ट मैच साल 1947 में खेला था। तब से लेकर अब तक भारत ने ऑस्ट्रेलिया में 11 सीरीज़ खेली। 12वीं सीरीज़ में जाकर टीम इंडिया को सीरीज़ जीत का स्वाद चखने का मौका मिला। अब सवाल ये उठता है कि भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया में सीरीज़ जीतने में इतना लंबा वक्त क्यूं लगा? या टीम इस बार ऑस्ट्रेलिया में सीरीज़ कैसे जीत पाई?
ऊपरी तौर पर इन सवालों के जवाब ये हो सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया टीम में कुछ स्टार खिलाड़ी नहीं थे। भारतीय टीम ने इस बार अच्छी क्रिकेट खेली। चेतेश्वर पुजारा ने सीरीज़ में दोनों टीमों की ओर से सबसे ज्यादा रन (521) बनाए। विराट कोहली से लेकर युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत, अजिंक्या रहाणे और मयंक अग्रवाल ने समय-समय पर रन बनाए। गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी की।
लेकिन इसमें अलग क्या रहा, ये सब तो सालों से भारतीय टीम करती आ रही थी। कई प्रमुख विपक्षी खिलाड़ी तो पहले भी टीम से बाहर रहे। कई बार भारतीय बल्लेबाजों ने विदेशों में अपनी बल्लेबाजी का जलवा बिखेरा। भारतीय गेंदबाज विदेशी दौरों पर पहले भी अच्छी गेंदबाजी करते रहे हैं। फिर इस बार ऐसा क्या अलग रहा। ठहरिए इसका जवाब भी है। ऑस्ट्रेलिया में सीरीज़ जीत का सबसे अधिक योगदान जिस चीज का रहा वह रहा भारतीय तेज गेंदबाजी का खौफ, जिसके चलते टीम इतनी बड़ी कामयाबी हासिल कर पाई। आप सोच रहे होंगे वो कैसे, इस बारे में हम विस्तार से पर्दा उठाने जा रहे हैं।