यूं तो सप्ताह की शुरुआत आम दिनों जैसी ही थी, लेकिन क्रिकेट फैंस और भारतीय क्रिकेट के लिए यह किसी दीवाली से कम नहीं थी। सिडनी में चौथे टेस्ट मैच के आखिरी दिन जो हुआ वह भारतीय क्रिकेट के इतिहास में स्वर्णीम अक्षरों के रूप में जो दर्ज हो गया। इस पल का इंतजार देश और भारतीय टीम कई दशकों से कर रही थी। अततः इंतजार पूरा हुआ और वो लम्हा भी आ गया जब भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में मात देकर जीत की नई इबादत लिख दी।
भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पहला टेस्ट मैच साल 1947 में खेला था। तब से लेकर अब तक भारत ने ऑस्ट्रेलिया में 11 सीरीज़ खेली। 12वीं सीरीज़ में जाकर टीम इंडिया को सीरीज़ जीत का स्वाद चखने का मौका मिला। अब सवाल ये उठता है कि भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया में सीरीज़ जीतने में इतना लंबा वक्त क्यूं लगा? या टीम इस बार ऑस्ट्रेलिया में सीरीज़ कैसे जीत पाई?
ऊपरी तौर पर इन सवालों के जवाब ये हो सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया टीम में कुछ स्टार खिलाड़ी नहीं थे। भारतीय टीम ने इस बार अच्छी क्रिकेट खेली। चेतेश्वर पुजारा ने सीरीज़ में दोनों टीमों की ओर से सबसे ज्यादा रन (521) बनाए। विराट कोहली से लेकर युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत, अजिंक्या रहाणे और मयंक अग्रवाल ने समय-समय पर रन बनाए। गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी की।
लेकिन इसमें अलग क्या रहा, ये सब तो सालों से भारतीय टीम करती आ रही थी। कई प्रमुख विपक्षी खिलाड़ी तो पहले भी टीम से बाहर रहे। कई बार भारतीय बल्लेबाजों ने विदेशों में अपनी बल्लेबाजी का जलवा बिखेरा। भारतीय गेंदबाज विदेशी दौरों पर पहले भी अच्छी गेंदबाजी करते रहे हैं। फिर इस बार ऐसा क्या अलग रहा। ठहरिए इसका जवाब भी है। ऑस्ट्रेलिया में सीरीज़ जीत का सबसे अधिक योगदान जिस चीज का रहा वह रहा भारतीय तेज गेंदबाजी का खौफ, जिसके चलते टीम इतनी बड़ी कामयाबी हासिल कर पाई। आप सोच रहे होंगे वो कैसे, इस बारे में हम विस्तार से पर्दा उठाने जा रहे हैं।
भारत में लम्बे समय तक रहा अच्छे तेज गेंदबाजों का अकाल
![Australia v India](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/1dc20-15469497623319-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/1dc20-15469497623319-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/1dc20-15469497623319-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/1dc20-15469497623319-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/1dc20-15469497623319-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/1dc20-15469497623319-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/1dc20-15469497623319-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/1dc20-15469497623319-800.jpg 1920w)
भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ जीतने से मैं भी उतना ही खुश और रोमांचित हूं जितना प्रत्येक भारतीय। इसलिए इस लेख को मैं एक खेल पत्रकार की हैसियत से नहीं बल्कि प्रशंसक की हैसियत से लिख रहा हूं। मैं उस प्रशंसक के नजरिए से ही इस जीत का विश्लेषण करना चाहूंगा जैसा हर भारतीय इस समय सोच रहा होगा।
आम क्रिकेट फैन की तरह स्कूली दिनों से ही क्रिकेट से लगाव। अख़बार को आगे की बजाय पीछे से खोलकर सबसे पहले खेल की ख़बरों को जिज्ञासावश पढ़ना। ये सब मेरी तरह देश के करोड़ों फैंस ने किया होगा। उस समय ख़बर पढ़ते वक्त एक बात हमेशा खटकती थी कि विदेशी तेज गेंदबाजों के नाम के आगे तेज गेंदबाज, तूफानी गेंदबाज, स्विंग के बादशाह, सफेद बिजली, एक्सप्रेस गेंदबाज, स्पीड स्टार लिखा होता था। जबकि ज्यादातर भारतीय गेंदबाजों के नाम के आगे मध्यम तेज गेंदबाज या मध्यम गति के गेंदबाज लिखा होता था। तब मन में सवाल उठता था कि भारतीय गेंदबाजों के नाम के साथ ऐसा कुछ क्यूं नहीं लिखा जाता। तब बालपन में इन सवालों के जवाब नहीं थे लेकिन आज हैं।
लम्बे समय तक अकेले कपिल देव ने ढोया तेज गेंदबाजी का भार
![Allan Donald](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/90557-15469499409504-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/90557-15469499409504-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/90557-15469499409504-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/90557-15469499409504-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/90557-15469499409504-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/90557-15469499409504-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/90557-15469499409504-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/90557-15469499409504-800.jpg 1920w)
भारत ने हमेशा से ही विश्व स्तरीय बल्लेबाज पैदा किए। जिन्होंने हर दौर में अपने तकनीकी कौशल, संयम और दमदार शॉट्स से दुनियाभर के फैंस का दिल जीता। यहां सभी बल्लेबाजों का नाम लेना मुनासिब नहीं होगा क्यूंकि फेहरिस्त काफी लंबी है। लेकिन जब बात गेंदबाजों की आती है खासकर तेज गेंदबाजों की, तब उनका नाम उंगलियों पर लिया जा सकता है। तेज गेंदबाजों के मामले में भारत हमेशा से अकालग्रस्त ही रहा। साल 1932 में जब से भारत ने क्रिकेट खेलना शुरू किया तब से लेकर अब तक बहुत कम गेंदबाज हुए जिन्हें सही मायनों में तेज गेंदबाज कहा जा सके। आप जानते हैं भारतीय टीम के पहले तेज गेंदबाज कौन थे? उनका नाम था मोहम्मद निसार। निसार भारत के लिए सिर्फ 6 टेस्ट मैच ही खेल पाए थे।
![India Captain Kapil Dev holds aloft the 1983 World Cup](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c5354-15469516726040-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c5354-15469516726040-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c5354-15469516726040-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c5354-15469516726040-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c5354-15469516726040-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c5354-15469516726040-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c5354-15469516726040-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c5354-15469516726040-800.jpg 1920w)
चलिए बात कपिल देव के युग से शुरू करते हैं। भारतीय क्रिकेट में लम्बे समय बाद कपिल देव के रूप में एक योग्य तेज गेंदबाज मिला था जिसे वाकई में तेज गेंदबाज कहा जा सकता था। टीम में कहने को तो अन्य गेंदबाज भी थे लेकिन उन्हें तेज कहना शायद मजाक होता। 1980 के उसी दौर में रोजर बिन्नी, बलविंदर संधू, मोहिंदर अमरनाथ और मदनलाल भी थे, लेकिन सभी के नाम के आगे मध्यम गति लिखा होता था। सालों तक भारतीय क्रिकेट में कपिल देव ही योग्य तेज गेंदबाज का भार अकेले अपने कंधों पर ढोते रहे। विपक्षी टीमें सोचती बस कपिल के ओवर निकल जाएं फिर सबको देख लेंगे।
कपिल से निकलकर श्रीनाथ के हाथों में आई तेज गेंदबाजी की कमान
![Manoj Prabhakar](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/7d831-15469503267708-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/7d831-15469503267708-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/7d831-15469503267708-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/7d831-15469503267708-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/7d831-15469503267708-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/7d831-15469503267708-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/7d831-15469503267708-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/7d831-15469503267708-800.jpg 1920w)
फिर कुछ कदम आगे चलने पर 1982-85 के आस-पास मनोज प्रभाकर और चेतन शर्मा के रूप में कुछ योग्य गेंदबाज आए, लेकिन ये लंबे समय तक कपिल का साथ नहीं दे पाए। फिर आया 90 का दशक जब कई गेंदबाज कब आए और कब गए किसीको पता ही नहीं चला। वर्तमान में टीम इंडिया के गेंदबाजी कोच भरत अरुण दो टेस्ट मैच खेलकर चलते बने, तो वहीं एक टेस्ट खेलने वाले राशीद पटेल अपना करियर लंबा नहीं खींच सके। इन दोनों के अलावा अतुल वासन, सुब्रतो बनर्जी, विवेक राजदान, सलील अंकोला और संजीव शर्मा कपिल के साथ जोड़ी बनाने के लिए संघर्ष करते रहे।
![Jawagal Srinath](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6725c-15469517883526-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6725c-15469517883526-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6725c-15469517883526-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6725c-15469517883526-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6725c-15469517883526-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6725c-15469517883526-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6725c-15469517883526-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/6725c-15469517883526-800.jpg 1920w)
साल 1991 में जवागल श्रीनाथ के आने के बाद कुछ हद तक भारतीय क्रिकेट को एक योग्य गति वाला गेंदबाज मिला। तभी 1994 में कपिल देव ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया और भारतीय क्रिकेट एक बार फिर योग्य तेज गेंदबाज की कमी से जूझने लगा। 1995 के बाद भारतीय क्रिकेट में पारस महाम्ब्रे, डोडा गणेश, प्रशांत वैद्या, आशीष विंस्टन जैदी, हरविंदर सिंह, देबाशीष मोहंती और वेंकटेश प्रसाद के रूप में कुछ तेज गेंदबाजों का आगमन हुआ। इन सभी ने घरेलू क्रिकेट तो तेज गेंदबाजी की लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के दबाव ने इन्हें मध्यम गति का गेंदबाज बना दिया। इन सभी में से वेंकटेश ही लम्बे समय तक टिक पाए।
चोट से डगमगाते रहे नेहरा, परिवर्तन के बलबूते जहीर ने चौदह सालों तक किया राज
![Ashish Nehra](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/3cb45-15469505325593-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/3cb45-15469505325593-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/3cb45-15469505325593-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/3cb45-15469505325593-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/3cb45-15469505325593-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/3cb45-15469505325593-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/3cb45-15469505325593-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/3cb45-15469505325593-800.jpg 1920w)
इसके बाद साल 1998 में अजीत अगरकर और 1999 में आशीष नेहरा के रूप में टीम को दो तेज गेंदबाज मिले। ये दोनों ही योग्य थे लेकिन अहम मौकों पर अक्सर फिसल जाया करते थे। इन दोनों को ही लेकर विपक्षी टीमों ऐसा कोई खौफ नहीं हुआ करता था जो उस दौर के शेन बॉण्ड, ब्रेट ली, ग्लेन मैक्ग्रा या शोएब अख्तर का हुआ करता था। ये दोनों किसी मैच में तो जबरदस्त गेंदबाजी करते और अगले ही मैच में इनका प्रदर्शन क्लब स्तर के गेंदबाज से भी नीचे चला जाता। नेहरा कभी फिटनेस तो कभी खराब फॉर्म के चलते जूझते रहे।
![Zaheer Khan](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/80911-15469519126968-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/80911-15469519126968-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/80911-15469519126968-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/80911-15469519126968-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/80911-15469519126968-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/80911-15469519126968-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/80911-15469519126968-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/80911-15469519126968-800.jpg 1920w)
फिर आया साल 2000 का वक्त। तब टीम को एक योग्य और जुझारू गेंदबाज के रूप में जहीर खान मिले, जिन्होंने 14 सालों तक भारत के लिए एक स्तर की क्रिकेट खेली। अच्छी शुरुआत के बाद कुछ सालों बाद जहीर की पिटाई होने लगी। उनका एकमात्र हथियार यॉर्कर बल्लेबाजों के लिए पहेली नहीं रहा था। जिसके चलते उन्हें नाकामी झेलनी पड़ रही थी। इसके बाद जहीर में भी असली निखार तब आया जब उन्होंने काउंटी क्रिकेट खेली, उसके बाद तो मानो इस गेंदबाज का नया जन्म ही हो गया। इस गेंदबाज ने गेंद से कलाकारी करना सीख लिया था जिसके बलबूते इसने बल्लेबाजों को क्रीज पर खूब नचाया।
अच्छी शुरुआत के बाद लय से भटके इरफान और श्रीसंत
![Irfan Pathan](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/9fd07-15469507119803-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/9fd07-15469507119803-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/9fd07-15469507119803-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/9fd07-15469507119803-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/9fd07-15469507119803-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/9fd07-15469507119803-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/9fd07-15469507119803-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/9fd07-15469507119803-800.jpg 1920w)
इसी दौरान इरफान पठान और टीनू योहानन भी टीम में आए। टीनू 3 टेस्ट में ही फेल होकर घर चले गए। तो वहीं इरफान पठान ने टेस्ट में हैट्रिक लेकर सबको प्रभावित भी किया। लेकिन पठान का टेस्ट सफर पांच साल और 29 मैचों तक ही सिमटकर रह गया। गेंदबाज के रूप में शुरुआत करने वाले पठान का मन बल्लेबाजी के लिए ललचाने लगा जिसके चलते वे न ढंग के बल्लेबाज बन सके और न ढंग के गेंदबाज ही रहे।
![S Sreesanth](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/347d1-15469519967528-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/347d1-15469519967528-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/347d1-15469519967528-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/347d1-15469519967528-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/347d1-15469519967528-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/347d1-15469519967528-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/347d1-15469519967528-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/347d1-15469519967528-800.jpg 1920w)
साल 2005 के बाद आरपी सिंह, वीआरवी सिंह, एस श्रीसंत और मुनाफ पटेल जैसे कुछ तेज गेंदबाज सामने आए। घरेलू क्रिकेट में तो ये सुनने को मिलता था कि मुनाफ पटेल गति के मामले में शोएब अख्तर को टक्कर दे रहे हैं। लेकिन बाद में जब मुनाफ ने अतंरराष्ट्रीय क्रिकेट खेली तो चोट और फॉर्म के चलते उनकी गति 120-130 के बीच आकर ठहर गई। आरपी सिंह का कमाल 14 मैचों तक ही बरकरार रह पाया।
प्रवीण की योग्यता, वरुण की गति ने किया प्रभावित
![Praveen Kumar](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/aad05-15469510419359-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/aad05-15469510419359-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/aad05-15469510419359-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/aad05-15469510419359-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/aad05-15469510419359-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/aad05-15469510419359-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/aad05-15469510419359-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/aad05-15469510419359-800.jpg 1920w)
इसी दौर में प्रवीण कुमार, विनय कुमार, वरुण एरोन और पंकज सिंह जैसे गेंदबाजों ने भी समय-समय पर प्रभावित किया। प्रवीण कुमार गति कम होने के बावजूद गेंद से कलाकारी करने में माहिर थे जो उन्हें अन्य गेंदबाजों से अलग बनाता था। पंकज सिंह सालों से घरेलू क्रिकेट में दमदार प्रदर्शन करते रहे लेकिन उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मौका काफी देर से मिला जिसका वे फायदा नहीं उठा सके।
![Pankaj Singh](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/e35ca-15469520919641-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/e35ca-15469520919641-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/e35ca-15469520919641-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/e35ca-15469520919641-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/e35ca-15469520919641-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/e35ca-15469520919641-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/e35ca-15469520919641-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/e35ca-15469520919641-800.jpg 1920w)
विनय कुमार कुछ समय के लिए चमक बिखेरकर वापस घरेलू क्रिकेट में लौट गए। वरुण एरोन ने गति से प्रभावित किया लेकिन चोटों ने उनके करियर से खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 2011 में आए उमेश यादव अभी भी असरदार हैं और टीम के लिए कई मौकों पर उपयोगी साबित हो रहे हैं। इसके अलावा 2013 में मोहम्मद शमी के रूप में टीम को बेहद अनुशासित और योग्य तेज गेंदबाज मिला। इसी दौरान भुवनेश्वर कुमार ने भी अपनी गति और लाइन लैंग्थ से काफी प्रभावित किया।
भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास का सबसे मजबूत तेज गेंदबाजी तिगड्डा
![Jasprit Bumrah](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/be87d-15469512150465-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/be87d-15469512150465-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/be87d-15469512150465-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/be87d-15469512150465-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/be87d-15469512150465-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/be87d-15469512150465-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/be87d-15469512150465-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/be87d-15469512150465-800.jpg 1920w)
फिर आया 2018 इस साल भारतीय क्रिकेट को टेस्ट में ऐसा गेंदबाज मिला जिसने गेंदबाजी के मायने ही बदलकर रख दिए। इस गेंदबाज ने भारतीय क्रिकेट के सारे मिथकों को तोड़कर रख दिया। इस गेंदबाज का नाम है जसप्रीत बुमराह। टेस्ट क्रिकेट में एक साल बिताने के बाद भी यह गेंदबाज बल्लेबाजों के लिए अबूझ पहेली बना हुआ है। भारतीय क्रिकेट में बुमराह अकेले ऐसे तेज गेंदबाज नजर आते हैं जिसकी हर गेंद पर बल्लेबाज आशंकित रहता है कि इसे खेलूं या जाने दूं।
![Shami](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c1497-15469521916862-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c1497-15469521916862-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c1497-15469521916862-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c1497-15469521916862-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c1497-15469521916862-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c1497-15469521916862-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c1497-15469521916862-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/c1497-15469521916862-800.jpg 1920w)
ऑस्ट्रेलिया में असल जीत का कारण यही है कि अब वो समय आ गया है जब भारतीय तेज गेंदबाजों से दुनिया की बड़ी से बड़ी टीमें भी खौफ खाती है। खुद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने इस बात को स्वीकार किया है कि वर्तमान में भारत के पास सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी आक्रमण है। अब हमारे तेज गेंदबाज रन रोकने या व्यक्तिगत उपलब्धि के लिए नहीं बल्कि विपक्षी टीम को जल्दी ढेर करने के इरादे से मैदान में उतरते हैं। यही वजह है कि बीते एक साल में ही भारत ने साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में मात दी। ऑस्ट्रेलिया में तो हम एक कदम आगे निकल गए और सीरीज भी जीत ली।
![Ishant Sharma](https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/0b4f0-15469522590968-800.jpg?w=190 190w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/0b4f0-15469522590968-800.jpg?w=720 720w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/0b4f0-15469522590968-800.jpg?w=640 640w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/0b4f0-15469522590968-800.jpg?w=1045 1045w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/0b4f0-15469522590968-800.jpg?w=1200 1200w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/0b4f0-15469522590968-800.jpg?w=1460 1460w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/0b4f0-15469522590968-800.jpg?w=1600 1600w, https://statico.sportskeeda.com/editor/2019/01/0b4f0-15469522590968-800.jpg 1920w)
अब भारतीय कप्तान स्पिनर्स से ज्यादा तेज गेंदबाजों पर भरोसा जताता है। अब ये देखकर अच्छा लगता है कि अब भारतीय गेंदबाजों ने नाम के आगे तेज/तूफानी/स्पीड स्टार जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है। अब भारतीय गेंदबाज 120-130 की गति तक सीमित नहीं हैं बल्कि वे तो 140-150 की छलांग मारने को लालायित रहते हैं। भारतीय क्रिकेट में पहली बार बल्लेबाजों के साथ ही गेंदबाजों पर भी बराबर का भरोसा करने का मन कर रहा है। अब बल्लेबाज कम स्कोर भी करे तो मन कहता है गेंदबाज तो हैं ही देख लेंगे।