भारत और ऑस्ट्रेलिया (Ind vs Aus) के बीच 2008 सिडनी टेस्ट में हुए मंकीगेट विवाद (Monkeygate) क्रिकेट के सबसे बड़े विवादों में शामिल है। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग (Ricky Ponting) ने आरोप लगाया था कि भारतीय ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने एंड्रयू साइमंड्स को मैच के दौरान बंदर कहा। मैच रेफरी माइक प्रॉक्टर ने स्पिनर को नस्लीय दुर्व्यवहार का दोषी पाया और उन पर तीन मैचों का प्रतिबंध लगा दिया।
एक बड़ा विवाद तब खड़ा हो गया जब भारतीयों ने कॉल पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि हरभजन ने नस्लीय शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था। उनकी हिंदी के शब्द को गलत समझा गया है। अब हरभजन सिंह ने उस समय के बारे में बताया है। भज्जी ने बताया कि वे सोचते थे कि इस आरोप के बाद उनके बच्चे भविष्य में उनके बारे में क्या सोचेंगे। भज्जी ने बोरिया मजूमदार से बात करते हुए कहा
वह बहुत मुश्किल समय था। लोगों को उस समय मेंटल हेल्थ के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। मैं सोचता था कि अगर मैं इसके बारे में बाहर बात करता हूं, तो वे सोचेंगे कि मैं कमजोर हूं। इसलिए मैंने इसे अपने तरीके से निपटाया। कमरे में बैठकर मैं सोचता था कि मैंने ऐसी कोई बात नहीं कही जिसके कारण मेरे साथ ऐसा होना चाहिए। हर दिन मेरी फोटो अखबारों में थी, मुझे नस्लवादी कहा जा रहा था। मैं नहीं चाहता था कि मेरे बच्चे उन क्लिप और वीडियो को देखें और सोचें कि मेरे पिताजी ने कुछ ऐसा कहा जिससे इतना बड़ा हंगामा हुआ। वह काफी कठिन समय था। मुझे खुशी है कि लोग अब अपनी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में खुल रहे हैं लेकिन उन दिनों मुझे लगता था कि लोग मुझे कमजोर कहेंगे।
सबूत के अभाव में आरोप हटाया गया
हरभजन सिंह पर से नस्लवाद का आरोप सबूतों की कमी के कारण हटा दिया गया। इसके बजाय उन पर लेवल 2.8 का आरोप लगाया गया, जो अपशब्द के लिए होता है, नस्लवाद के लिए नहीं। उन्हें आरोप के लिए दोषी ठहराया और उनकी मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया।