क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने पुरुष और महिला क्रिकेट के बीच असमानता खत्म करने की ओर मजबूत कदम बढ़ाया है। आईसीसी ने घोषणा की है कि पुरुष और महिला टीम को आईसीसी इवेंट्स में प्राइज मनी बराबर मिलेगी।
दक्षिण अफ्रीका के डरबन में आईसीसी की वार्षिक कांफ्रेंस के दौरान यह फैसला लिया गया। 2030 से पहले असमानता खत्म करने के लिहाज से यह बड़ा कदम माना जा रहा है। नई नीति सुनिश्चित करेगी कि पुरुष और महिला टीमों को बड़े टूर्नामेंट्स और मैच जीतने पर समान प्राइज मनी मिले।
आईसीसी के चेयरमैन ग्रेग बार्कली ने ऐतिहासिक पल पर खुशी जताई और कहा कि सभी के खेल के रूप में क्रिकेट प्रत्येक खिलाड़ी के योगदान को बराबरी से पहचानने और जश्न मनाने की अनुमति देता है।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि 2017 से आईसीसी ने धीरे-धीरे महिला इवेंट्स में प्राइज मनी बढ़ाई ताकि बराबर प्राइज मनी के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। इसके साथ ही आईसीसी बोर्ड ने पुष्टि की है कि अगले चार साल के वितरित मॉडल पर समझौते के बाद खेल में सबसे बड़ा निवेश किया जाएगा। प्रत्येक आईसीसी सदस्य को बढ़ी हुई फंडिंग मिलेगी। वैश्विक प्रगति रणनीति के मद्देनजर निवेश फंड समर्पित रहेंगे।
इसके अलावा प्रमुख कार्यकारियों की समिति ने टेस्ट क्रिकेट में धीमी ओवर रन गति में जुर्माने पर भी बदलाव किया है। अगर गेंदबाजी टीम ज्यादा समय लेकर गेंदबाजी करे तो प्रत्येक ओवर के हिसाब से मैच फीस का 5 प्रतिशत जुर्माना लगता है, जिसमें सबसे ज्यादा 50 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाता है। अगर कोई टीम 80 ओवर से पहले ऑलआउट हो जाए तो अब कोई ओवर रेट पेनल्टी नहीं लगेगी भले ही फिर धीमी गति से गेंदबाजी की गई हो। पहले यह 60 ओवर पर लागू होती थी।
आईसीसी पुरुष क्रिकेट समिति के सदस्य सौरव गांगुली ने कहा कि आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप ने टेस्ट क्रिकेट में नई जान भरी है, इसे प्रतिस्पर्धी बनाया है। उनका मानना है कि नए संशोधन से ओवर गति बरकरार रखने के संतुलन में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित करेगा कि खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट खेलने से पीछे नहीं हटे।