पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक का मानना है कि क्रिकेट बोर्डों को टेस्ट को नजरअंदाज करके टी20 क्रिकेट को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेल की असली खूबसूरती टेस्ट क्रिकेट है तो प्रशासकों को दोनों प्रारूपों के साथ बराबर व्यवहार करना चाहिए।
टी20 क्रिकेट पिछले एक दशक में खेल के सबसे लोकप्रिय प्रारूप में से एक बन गया है। कई फैंस टी20 क्रिकेट को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि यह मुकाबला कम समय में पूरा हो जाता है। यह भी ध्यान दिया गया है कि टी20 प्रारूप टेस्ट की तुलना में थोड़ा ज्यादा अप्रत्याशित है। फैन फॉलोइंग के कारण टी20 क्रिकेट टेस्ट से ज्यादा राजस्व बनाता है।
इसलिए बाद में क्रिकेट दौरों पर टेस्ट से ज्यादा टी20 मैचों को प्राथमिकता दी जाती है, जो इंजमाम उल हक का मानना है कि गलत है। अपने यूट्यूब चैनल पर उन्होंने कहा, 'अगर टी20 क्रिकेट ज्यादा मजेदार है और आपको ज्यादा पैसा दे रहा है तो ठीक है इसे आयोजित कीजिए। मगर टेस्ट क्रिकेट के खर्च पर नहीं। ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप तीन मैचों की टेस्ट सीरीज को घटाकर दो टेस्ट कर दो और तीन मैचों की टी20 इंटरनेशनल सीरीज को बढ़ाकर पांच कर दें। बोर्ड को ऐसा संदेश नहीं भेजना चाहिए कि खिलाड़ी अब टी20 क्रिकेट खेले और टी20 हमारे लिए सबसे बड़ी जरूरत है।'
आईसीसी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हुए टेस्ट प्रारूप को जिंदा रखने के लिए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का परिचय कराया। हालांकि, टीमें इस समय टी20 प्रारूप पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। इस साल टी20 विश्व कप होना है, जिस पर टीमों का ध्यान लगा हुआ है।
खिलाड़ी भी उसी राह पर चलेंगे: इंजमाम
इंजमाम उल हक ने आजकल के ट्रेंड के संकेत देते हुए कहा कि कुछ खिलाड़ी टेस्ट से जल्दी संन्यास ले रहे हैं ताकि वनडे और टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट पर ध्यान लगाएं। उन्होंने कहा, 'टेस्ट क्रिकेट को खत्म न करें और इसका विकल्प टी20 क्रिकेट को नहीं बनाएं। अगर ऐसा हुआ तो यह खेल और खिलाड़ी दोनों के लिए अनुचित होगा क्योंकि अगर बोर्ड ही टेस्ट पर टी20 क्रिकेट को ज्यादा प्राथमिकता देंगे तो फिर खिलाड़ी भी उसी राह पर आगे बढ़ेंगे। और तो और, युवा और क्रिकेटरों की अगली खेप भी शुरूआत से ही टी20 क्रिकेट पर पूरा ध्यान लगाएगी।'
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या क्रिकेट बोर्ड इंजमाम की सलाह पर ध्यान देंगे और भविष्य में टेस्ट व टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट के बराबर मैच आयोजित करेंगे।