आधुनिक क्रिकेट के दौरान बबल थकान के नकारात्मक प्रभावों को लेकर दिग्गज भारतीय खिलाड़ी ने दी बड़ी प्रतिक्रिया 

केएल राहुल भारत के लिए आखिरी कुछ सीरीज में खेलते हुए नजर नहीं आये थे
केएल राहुल भारत के लिए आखिरी कुछ सीरीज में खेलते हुए नजर नहीं आये थे

आज के समय में सभी खिलाड़ियों को कोरोना जैसी महामारी के चलते अलग-अलग तरह के बायो-बबल में रहना पड़ता है और इस दौरान कई खिलाड़ियों ने लगातार बबल में रहने की वजह से थकान की शिकायत भी की और कुछ खिलाड़ियों ने दौरों से नाम भी वापस लिया। भारतीय खिलाड़ी भी इससे अछूते नहीं हैं और टीम के बल्लेबाज केएल राहुल (KL Rahul) ने बबल थकान की वजह से होने वाले नकारात्मक प्रभावों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

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राहुल आखिरी बार वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज के दौरान खेलते हुए नजर आये थे। उसके बाद चोट के कारण टी20 सीरीज और श्रीलंका के खिलाफ भी एक भी मैच नहीं खेल पाए थे।

केएल राहुल ने क्लब हाउस ऐप पर 'रेड बुल क्रिकेट' के साथ खास बातचीत के दौरान बबल लाइफ को लेकर कहा,

मैं शुरू में काफी हद तक ठीक था, लेकिन मुझे लगता है कि आखिरी सीरीज और वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज दिक्कत हुई और मेरे लिए खुद को मोटीवेट रखना काफी मुश्किल हो गया। शुरूआती कुछ बबल मैंने मैनेज किये। क्योंकि मैं खुद से पूछता रहा, 'मैं और कहां हो सकता हूं? मैं और क्या कर सकता हूँ?’ कुछ नहीं। क्रिकेट ही एकमात्र ऐसी चीज है जिसमें मैं अच्छा हूं और यही वह चीज है जिसे मैंने चुना है, इसलिए मैं इसका ऋणी हूं।

चोटिल होने के बाद राहुल ने कुछ समय बेंगलुरु में स्थित नेशनल क्रिकेट अकादमी में बिताया और वह आगामी आईपीएल 2022 के लिए अपनी टीम लखनऊ सुपर जायंट्स से जुड़ चुके हैं। पिछले कुछ महीनों को मुश्किल बताते हुए राहुल ने कहा,

पिछले कुछ महीने काफी मुश्किल थे। श्रेयस और मैं यही चर्चा कर रहे थे कि यह और मुश्किल हो जाता है जब आपका आपका परिवार नहीं आ सकता, और आपके साथ न हो। सामान्य महसूस करने के लिए आपको अपने परिवार, अपने दोस्तों की ज़रूरत होती है। हमने सामान्य महसूस करना बंद कर दिया। हमें सोना था, उठना था, ग्राउंड पर जाना था। यह बस एक रूटीन बन गया। यह बहुत मुश्किल होने लगा।

क्वारंटाइन की वजह से खिलाड़ियों की बॉन्डिंग बढ़ी - केएल राहुल

क्वारंटाइन की वजह से खिलाड़ियों के मानसिक हेल्थ पर पड़ने वाले वाले प्रभाव के बावजूद केएल राहुल ने बताया कि कैसे बायो-बबल टीम बॉन्डिंग में मददगार साबित हुआ। उन्होंने कहा,

अच्छी बात थी कि बबल क्वारंटाइन की वजह से खिलाड़ी एक साथ आये, हम एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जान पाए। मुझे उन खिलाड़ियों के बारे में व्यक्तिगत रूप से बेहतर पता चला है जिनके साथ मैं 4-5 साल से हूं और एक गहरी दोस्ती बन गई है।

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Edited by Prashant Kumar
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