पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार (Praveen Kumar) ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि वो 2008 में आईपीएल (IPL) के पहले सीजन में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे। प्रवीण ने कहा कि दिल्ली कैपिटल्स (पहले दिल्ली डेयरडेविल्स) उनकी पहली पसंद थी, क्योंकि वो उनके होम टाउन मेरठ के करीब था।
प्रवीण ने उस वाकये को भी याद किया जब सीजन की शुरुआत से पहले आरसीबी के अधिकारी ने उनसे एक पेपर पर साइन करने के लिया कहा था। 37 वर्षीय भारतीय क्रिकेटर ने बताया कि साइन करते समय मुझे पता नहीं था कि मैं एक आईपीएल टीम के कॉन्ट्रेक्ट पेपर पर साइन कर रहा हूँ। दाएं हाथ के गेंदबाज ने बताया कि जब मैंने आरसीबी के लिए खेलने से मना किया, तो ललित मोदी ने मेरा करियर खत्म करने की धमकी दी थी।
दी लल्लनटॉप से बातचीत के दौरान प्रवीण कुमार ने कहा,
मैं आरसीबी के लिए नहीं खेलना चाहता था क्योंकि बैंगलोर मेरे घर से काफी दूर था, मुझे अंग्रेजी नहीं आती थी और खाना भी मेरी पसंद का नहीं था। दिल्ली मेरठ से काफी करीब है, जिससे मुझे कभी-कभार अपने घर जाने का मौका मिल जाता था। हालाँकि, एक व्यक्ति था जिसने मुझसे एक कागज पर हस्ताक्षर करवाए। मुझे नहीं पता था कि यह अनुबंध था। मैंने उनसे कहा कि मैं बेंगलुरु के लिए नहीं बल्कि दिल्ली के लिए खेलना चाहता हूं। इसके बाद ललित मोदी ने मुझे फोन किया और मेरा करियर खत्म करने की धमकी दी।
मरे इरास्मस अक्सर फैसले देने में गड़बड़ी करते हैं- प्रवीण कुमार
इसी इंटरव्यू के दौरान पूर्व भारतीय गेंदबाज ने अनुभवी अंपायर मरे इरास्मस के बारे में भी बात की और कहा कि वो अपना काम सही ढंग से नहीं करते। प्रवीण ने कहा,
वह एक ऐसे अंपायर हैं जो अपना काम बखूबी नहीं करते। उनके फैसले भयानक हैं। जब बल्लेबाज आउट नहीं होता है तो वह आउट देता है और जब आउट होता है तो नॉट आउट देते हैं। हम नॉटिंघम में एक टेस्ट मैच खेल रहे थे। मैंने कई ओवर फेंके थे और मेरी गेंद केविन पीटरसन के पैड पर लगी थी। वो विकेटों के सामने थे लेकिन अंपायर ने नॉट आउट दिया था। मैंने उससे कहा, 'तू अंधा वंधा है क्या?'