श्रीलंका दौरे के लिए राहुल द्रविड़ को हेड कोच नियुक्त करने की दुनियाभर से सराहना आ रही है और पूर्व भारतीय स्ट्रेटेजिक लीडरशिप कोच पैडी अप्टन ने इस पर ज्यादा खुशी जताई है।
अप्टन 2013 में राजस्थान रॉयल्स में राहुल द्रविड़ के साथ जुड़े थे। दोनों ने आईपीएल में कुछ सीजन एकसाथ काम किया। इसके बाद पैडी अप्टन ने दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ काम किया।
स्पोर्ट्सकीड़ा को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पैडी अप्टन ने कहा, 'मेरे ख्याल से राहुल द्रविड़ अच्छे लोगों और शानदार क्रिकेटरों को आगे बढ़ाने में बेहतरीन हैं। राहुल ने अपने पूरे करियर के दौरान ऐसा किया है। मुझे नहीं लगता कि वह किसी विवाद का हिस्सा रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि ऐसे दुनिया में ज्यादा लोग होंगे, जो कहें कि राहुल द्रविड़ ऐसे हैं, जिनके चरित्र में विवाद हो।'
अप्टन ने बिजनेस की दुनिया और क्रिकेट में बदलती संस्कृति में समानताएं बताईं। उन्होंने समझाने की कोशिश की कि कैसे दुनिया भर की टीमें खिलाड़ियों को केवल प्रतिभा के आधार पर नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के रूप में उनकी सहज प्रकृति के आधार पर भी चुनती हैं।
पूर्व दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट के परफॉर्मेंस निदेशक का मानना है कि द्रविड़ जब युवा क्रिकेटरों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार करते हैं, तो इसी सिद्धांत पर काम करते हैं।
अप्टन ने कहा, 'हम दुनिया के समय में आगे बढ़ रहे हैं। सिर्फ खेल दुनिया में नहीं बल्कि बिजनेस और सेलिब्रिटी दुनिया में भी, जहां सिर्फ बेहतर प्रदर्शन करना ही पर्याप्त नहीं। हमारा चरित्र कैसा है और हमारे मूल्य कैसे हैं, जिसे दिखाना होता है।'
उन्होंने आगे कहा, 'शीर्ष खिलाड़ी हानिकारक हैं। इन्हें बड़ी लीग में अब टीमों में नहीं चुना जाता। दुनिया में कोच और मैनेजर अच्छे लोग और साथ ही अच्छी एथलीट होने के नाते चुने जाते हैं।'
हमारे पास खिलाड़ियों को खरीदने के पैसे नहीं थे: पैडी अप्टन
राहुल द्रविड़ और पैडी अप्टन 2013 आईपीएल में एकसाथ जुड़े। इससे पहले लगातार चार साल रॉयल्स की टीम प्लेऑफ में क्वालिफाई नहीं कर पाई थी। 2008 आईपीएल खिताब जीतने के बाद रॉयल्स का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था।
हालांकि, द्रविड़-अप्टन की साझेदारी ने रॉयल्स के लिए बेहतरीन काम किया और 2013 व 2015 सीजन में टीम ने प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई किया। 2014 में राजस्थान रॉयल्स पांचवें स्थान पर रहे थे।
अप्टन ने बताया कि पैसों की कमी के चलते उन्होंने और द्रविड़ ने कम लोकप्रिय खिलाड़ियों के साथ काम करके मजबूत टीम बनाई, जिसने फ्रेंचाइजी को सफलता दिलाई।
अप्टन ने कहा, 'जब 2013 में मैं रॉयल्स से जुड़ा, तो वह छठें स्थान पर थी। 2008 आईपीएल विजेता बनने के बाद अगले चार साल तक रॉयल्स का प्रदर्शन अच्छा नहीं था। इसका कारण यह था कि मालिकों ने नीलामी में पूरे कोटे का पैसा खर्च नहीं किया था।'
उन्होंने आगे कहा, 'तब रॉयल्स ने रणनीति अपनाई कि युवाओं को मौका दो और उन्हें बड़ा खिलाड़ी बनाओ। फिर हमने युवाओं को आजमाया और इसके सकारात्मक नतीजे मिले।'