भारतीय टीम (Indian Cricket Team) ने हाल ही में 1983 विश्व कप (World Cup 1983) जीत के 40 वर्ष पूरे किए है, और हर वर्षगांठ की तरह इस साल भी इस जीत से जुड़े किस्से और कहानियां बाहर निकल कर आ रही है। इस यादगार लम्हें से जुड़ी एक और कहानी इस विश्व विजेता टीम के सदस्य और वर्तमान में बीसीसीआई (BCCI) अध्यक्ष रोजर बिन्नी (Roger Binny) ने साझा की है।
बिन्नी ने बड़ा दावा करते हुए बताया है कि भारतीय टीम 1983 के विश्व कप फाइनल में कपिल देव के 175 रनों की बदौलत नहीं पहुंची थी, बल्कि वेस्टइंडीज के खिलाफ ओल्ड ट्रैफर्ड में मिली पहली जीत के कारण ऐसा करने में सफल हुई थी।
कपिल देव ने जिंम्बाब्वे के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबले में 175 रनों की नाबाद पारी खेल कर अपनी टीम को इस टूर्नामेंट से बाहर होने से बचाया था।
ग्रुप फेज में वेस्टइंडीज के खिलाफ हमारी जीत टूर्नामेंट की टर्निंग प्वाइंट थी – रोजर बिन्नी
भारत की इस सनसनीखेज जीत पर बोलते हुए इस 67 वर्षिय पूर्व खिलाड़ी ने कहा कि 9 जून 1983 को ग्रुप फेज के पहले मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ मिली ओल्ड ट्रैफर्ड में जीत हमारे लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। रोजर बिन्नी ने कहा,
सबसे बड़ी टर्निंग प्वाइंट हमारी टीम के लिए वेस्टइंडीज़ के खिलाफ़ ग्रुप फेज में जीत थी। इसके बाद हम अपनी संभावनाओं में विश्वास करने लगे थे।
इस मुकाबले में भारत ने वेस्टइंडीज को 34 रनों से हरा दिया था, और इसके बाद भारत की जीत का कारवां आगे बढ़ता रहा और फिर ये विश्व विजेता बन के ही थमा।
बता दें कि 25 जून 1983 को लाॅर्डस में खेले फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया ने कपिल देव की कप्तानी में वेस्टइंडीज को 43 रनों से हरा कर इतिहास रच डाला था, और विश्व चैंम्पियन का तमगा अपने नाम किया था। भारत ने वेस्टइंडीज के सामने जीत के लिए 184 रनों का लक्ष्य रखा था, जिसके जवाब में क्लाइव लाॅयड की पूरी टीम 140 रनों पर ढेर हो गयी थी। मोहिंदर अमरनाथ को उनके शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया था। अमरनाथ ने बल्ले से 26 रनों का बहुमूल्य योगदान दिया था, जबकी गेंदबाजी में उन्होंने 12 रन देकर 3 विकेट लिए थे।