रॉबिन उथप्पा ने खुलासा किया कि महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने बहुत दर्द झेलते हुए 2008 सीबी सीरीज खेली थी, जहां टीम इंडिया ने ऐतिहासिक सीरीज अपने नाम की थी। उथप्पा ने कहा कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर सीरीज के दौरान दर्द से लड़ रहे थे, लेकिन उन्होंने हमेशा टीम को प्राथमिकता दी। तेंदुलकर ने दो फाइनल में मैच विजयी पारियां खेली, जिसकी मदद से टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को लगातार दो फाइनल में मात देकर सीबी सीरीज का खिताब जीता था।
सचिन तेंदुलकर सीरीज में दर्द से जूझ रहे थे, लेकिन फिर भी उन्होंने 10 मैचों में 399 रन बनाए। तेंदुलकर की इच्छा थी कि ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में मात दें और तीसरा फाइनल खेलने की जरूरत नहीं पड़े। उथप्पा उस टीम में बतौर ओपनर खेले और तेंदुलकर के साथ दो महत्वपूर्ण साझेदारियां (50 व 94) करके टीम इंडिया को दमदार शुरूआत दिलाई। उथप्पा को विश्वास नहीं हुआ कि पूर्व महान बल्लेबाज कैसे दर्द के साथ बल्लेबाजी करते रहे।
उथप्पा ने द ग्रेड क्रिकेटर पोडकास्ट में बातचीत करते हुए कहा, 'आपको विश्वास नहीं होगा, सचिन तेंदुलकर... मैं उन्हें पाजी बुलाता हूं। वह उस कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज में काफी दर्द के साथ खेल रहे थे। वह शारीरिक रूप से ठीक नहीं थे और काफी दर्द झेलते हुए खेले। ऐसा भी समय था जब वह दर्द से कराह रहे थे। हम उनसे पूछते कि आप ठीक हैं, तो वो बड़े आराम से कहते- हां ठीक हूं। वो हमेशा टीम की जरूरतों को सबसे आगे रखते थे और खुद भी ऐसा करके दिखाते थे। उन्होंने काफी दर्द के साथ खेला।'
सचिन तेंदुलकर थे दोनों टीमों के बीच सबसे बड़ा फर्क
सचिन तेंदुलकर निश्चित ही 2008 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज के फाइनल में दोनों टीमों के बीच का सबसे बड़ा फर्क थे। तेंदुलकर ने पहले फाइनल में 117 रन बनाकर भारत को तीन फाइनल में 1-0 की बढ़त दिलाई। उन्होंने मेलबर्न में खेले गए दूसरे फाइनल में अपना शानदार फॉर्म जारी रखा और 91 रन बनाकर भारत को यादगार जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
उथप्पा ने कहा, 'मुझे याद है कि उस सीरीज में सचिन पाजी से हम बात कर रहे थे और उन्होंने कहा- रॉबिन, 32, 33 या 34 साल के बाद अपने आप को फिट रखना काफी मुश्किल होता है क्योंकि यह चुनौतीपूर्ण हो जाता है। चोट आप पर हावी होने लगती है। मैं तब 21 या 22 साल का था, जब उनसे ऐसी बातचीत हो रही थी। मैंने कहा- नहीं पाजी, आप बस ऐसे ही ये बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा- रॉबिन जब तुम 35 साल के हो जाओगे तब बात करेंगे और देखेंगे कि तुम मेरी बात से सहमत हो या नहीं। आज मैं 35 साल का हूं और आपको बता सकता हूं कि उनकी बात एकदम सच थी।'