क्वेटा ग्लेडिएटर्स के कप्तान सरफराज अहमद ने स्वीकार किया कि वह मैदान पर जल्दी गुस्सा हो जाते हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि उनका गुस्सा मैदान तक ही सीमित रहता है और मैदान के बाहर खिलाड़ियों के साथ उनके रिश्ते मजबूत हैं।
क्वेटा ग्लेडिएटर्स का पीएसएल 2021 में खराब समय रहा क्योंकि पहले चरण में उसे पांच मैचों में चार शिकस्त झेलनी पड़ी। कोविड-19 मामले सामने आने के बाद टूर्नामेंट को निलंबित कर दिया गया था। अधिकांश मैचों में ग्लेडिएटर्स के कप्तान सरफराज अहमद ने अपना आपा खोते दिखे।
क्रिकेट पाकिस्तान के साथ इंटरव्यू में सरफराज अहमद ने स्पष्ट किया कि इसमें ज्यादा कुछ नहीं और वो बस टीम के खराब प्रदर्शन से निराश थे क्योंकि टीम मौकों का फायदा नहीं उठा पा रही थी।
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान ने कहा, 'यह मेरा स्टाइल (गुस्सा अभिव्यक्त करना) है। अहम समय में जब आप अच्छा प्रदर्शन नहीं करो, यह जरूरी है कि आप सभी मौकों का पूरा फायदा हो। मगर गुस्सा मैदान में निकलता है। मैदान के बाहर कुछ नहीं। मैदान के बाहर जाकर सभी चीजें ठीक हो जाती हैं।'
क्वेटा ग्लेडिएटर्स ने पीएसएल 2021 में अपने अभियान की शुरूआत कराची किंग्स के हाथों सात विकेट से शिकस्त के साथ की थी। इसके बाद उसे लाहौर कलंदर्स (9 विकेट), पेशावर जल्मी (तीन विकेट) और इस्लामाबाद यूनाइटेड (6 विकेट) के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी।
क्वेटा ग्लेडिएटर्स ने मुल्तान सुल्तांस के खिलाफ 22 रन की जीत दर्ज करके अपना खाता खोला था। इसके बाद पीएसएल 2021 निलंबित हो गया था।
फील्डिंग ने हमें निराश किया: सरफराज अहमद
यह पूछने पर कि क्वेटा ग्लेडिएटर्स से पहले चार मैचों में कहां गलती हुई तो सरफराज अहमद ने कहा कि टीम ने खराब प्रदर्शन तो नहीं किया, लेकिन फील्डिंग ने हमें निराश किया।
उन्होंने कहा, 'अगर आप पिछले पांच मैचों को देखें तो हमने अच्छा प्रदर्शन किया था। मगर हमें फील्डिंग से बड़ी निराशा मिली। हमारा उस विभाग में खराब प्रदर्शन रहा। हमने कैच छोड़े और महत्वपूर्ण समय पर रनआउट के मौके गंवाए और यही बड़ी चिंता रही। इसी वजह से हम इतने मैच हारे।'
मोहम्मद रिजवान के उदय से सरफराज अहमद की प्लेइंग XI में जगह खतरे में पड़ी। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में केवल एक वनडे खेला और जिंबाब्वे में एक टी20 इंटरनेशनल मैच खेला। 34 साल के सरफराज अहमद टीम का हिस्सा बनकर खुश हैं और वो लगातार सीखना चाहते हैं।
सरफराज अहमद ने कहा, 'दिल दुखाने वाली बात नहीं है। मेरा लक्ष्य जब पाकिस्तान टीम के साथ रहूं तो अपनी शैली और फिटनेस पर काम करना है। आप चाहे खेलो या ना खेलो, जब टीम का हिस्सा हो तो शीर्ष कोचों से कुछ सीखने को मिलता है। हमारे पास मिस्बाह उल हक और यूनिस खान है व कभी मोहम्मद युसूफ से भी सीखने को मिलता है। मेरी कोशिश हमेशा सीखने की रहती है। जब मैं पीएसएल में खेलता हूं तो जो सीखा, उसे लागू करने की कोशिश करता हूं।'