भारतीय महिला क्रिकेट टीम (India Women Cricket Team) की कप्तान हरमनप्रीत कौर (Harmanpreet Kaur) इन दिनों गलत कारणों से सुर्खियों में हैं। बांग्लादेश (Bangladesh Women Cricket Team) के खिलाफ हाल ही में संपन्न वनडे सीरीज के आखिरी मुकाबले में हरमनप्रीत कौर ने खराब अंपायरिंग को लेकर जमकर भड़ास निकाली थी।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान शांता रंगस्वामी ने हरमनप्रीत कौर पर जमकर भड़ास निकाली और कहा कि कप्तान ने बांग्लादेश के खिलाफ टाई वनडे में अंपायर्स को कुछ ज्यादा ही खरी खरी सुनाई। रंगास्वामी ने कहा कि हरमनप्रीत कौर ने देश के दूत की तरह बर्ताव नहीं किया।
हरमनप्रीत कौर ने मैच के बाद अंपायर स्तर की कड़ी आलोचना की, जिसके बाद से वो निशाने पर आ गई हैं। आईसीसी ने आचार संहिंता के उल्लंघन का दोषी पाकर हरमनप्रीत कौर पर दो मैचों का प्रतिबंध लगा दिया है। हरमनप्रीत कौर को मैच के बाद अंपायर्स की आलोचना करना भारी पड़ा।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब भारत की पारी के 34वें ओवर में हरमनप्रीत कौर को अंपायर ने एलबीडब्ल्यू आउट दिया। हरमन ने स्वीप शॉट खेलने का प्रयास किया और बांग्लादेश की अपील को अंपायर ने स्वीकार किया। हरमनप्रीत कौर का मानना था कि गेंद पहले उनके ग्लव्स पर लगी थी। चूकि डीआरएस की व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा हरमनप्रीत कौर को पवेलियन लौटना पड़ा। गुस्से में हरमनप्रीत कौर ने स्टंप्स पर बल्ला दे मारा और अंपायर तनवीर अहमद को खरी खरी सुनाते हुए निराश होकर पवेलियन लौट गईं।
यह मामला यही नहीं खत्म हुआ। मैच के बाद प्रेजेंटेशन सेरेमनी के दौरान कौर ने अंपायर स्तर की खुलकर आलोचना की। ट्रॉफी सेरेमनी में हरमनप्रीत कौर ने व्यंग्यात्मक रूप से अंपायर्स को भी जुड़ने के लिए कहा। इसके बाद से हरमनप्रीत कौर की जमकर आलोचना हो रही है। कई लोगों का मानना है कि टीम के कप्तान से इस तरह के बर्ताव की कोई उम्मीद नहीं करता।
शांता रंगास्वामी ने पीटीआई से बातचीत में कहा, 'उसका बर्ताव खराब था। अगर वो विकेट गिरने के बाद रुक जाती तो कुछ लोग स्वीकार कर लेते, लेकिन प्रेजेंटेशन में हरमन ने जो किया, वो खेल के लिए अच्छा नहीं है। वो खराब था और उसने हद पार की। हरमन निश्चित ही हमारी सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक है, लेकिन इस तरह का बर्ताव नहीं चलेगा। इस तरह के एक्शन से दोनों देशों के बोर्ड का काम अच्छा नहीं बचेगा। हरमनप्रीत कौर वहां हमारे देश की ब्रांड एम्बेस्डर बनकर गई और उसी तरह का व्यवहार करना चाहिए था।'