भारत के पूर्व ओपनर बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) ने बताया कि वेस्टइंडीज में 2007 वर्ल्ड कप के दौरान जब टीम इंडिया ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई थी, वह दो दिनों तक होटल रूम से बाहर भी नहीं निकले थे। सहवाग ने बताया कि टीम ग्रुप स्टेज से काफी जल्दी बाहर हो गई थी और उनके पास अगले दो दिनों तक भारत वापस आने के लिए टिकट नहीं थे।
वीरेंद्र सहवाग ने बताया 2007 वर्ल्ड कप से बाहर होने का दुख
इस वजह से सभी खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ को भारत जाने से पहले त्रिनिदाद और टोबैगो में रहना पड़ा था। वीरेंद्र सहवाग ने गौरव कपूर के यूट्यूब प्रोग्राम ब्रेकफास्ट विद चैंपियंस में 2007 वर्ल्ड कप को याद करते हुए बताया कि,
"2007 वर्ल्ड कप ने ज्यादा दुख दिया। क्योंकि 2007 में हमारी टीम दुनिया की सबसे अच्छी टीम थी। अगर आप पेपर पर एक अच्छी टीम ढूंढते तो न वर्ल्ड कप से पहले कोई बेहतर टीम दिखती और ना ही वर्ल्ड कप के बाद। हमने पिछले एडिशन (2003 वर्ल्ड कप) में फाइनल खेला था, अगले एडिशन (2011 वर्ल्ड कप) में जीते थे, लेकिन तब भी वैसी टीम नहीं थी। तो उस चीज से काफी दुख हुआ क्योंकि हम 3 में से 2 मैच हार गए थे। हम सिर्फ बरमूडा के खिलाफ जीते थे और वर्ल्ड कप से बाहर हो गए।"
आपको बता दें कि 2007 वर्ल्ड कप में भारत का पहला मैच बांग्लादेश के साथ हुआ था, जिसमें भारत को एक शर्मनाक और आश्चर्यजनक हार झेलनी पड़ी थी। हालांकि उसके बाद भारत ने बरमूडा के खिलाफ एक बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन अंतिम ग्रुप मैच में श्रीलंका ने भारत को हराकर टूर्नामेंट से बाहर कर दिया था। सहवाग ने उस वक्त के बारे में बताया कि,
"आपको पता है कि सबसे ज्यादा दुख किससे हुआ, सभी को लगता था कि हम अगले राउंड में जाएंगे लेकिन जब लीग स्टेज खत्म हुआ तो दो दिन का ब्रेक था, और हमें वापस आना था। हम हार चुके थे और हमारे पास टिकट नहीं थे। हमें अगले 2 दिनों के लिए त्रिनिदाद और टोबैगो में रहकर इंतजार करना पड़ा। हमारे पास कोई काम नहीं था, ना कोई अभ्यास, कुछ भी करने के लिए नहीं था।"
उन्होंने आगे बताया कि,
"मेरे कमरे में कोई रूम-सर्विस वाला नहीं था, मैंने हाउसकीपिंग के लिए किसी को नहीं बुलाया और न ही अपने कमरे से बाहर निकलता था। अमेरिका में मेरा एक दोस्त था, जिससे मुझे 'प्रिज़न ब्रेक' मिला। मैंने पूरे दो दिन शो देखा। अगले दो दिनों में मैंने उसे देखकर पूरा किया। मैंने किसी का चेहरा नहीं देखा था।"