भारत (Indian Cricket Team) और ऑस्ट्रेलिया (Australia Cricket Team) के बीच इंग्लैंड के ओवल मैदान में खेले जा रहे वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल (WTC Final) के चौथे दिन भारत की दूसरी पारी के दौरान एक बड़े विवाद ने जन्म ले लिया है। भारत की बल्लेबाजी के दौरान दूसरे सत्र में टी से पहले टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल (Shubman Gill) को एक विवादस्पद तरीके से थर्ड अंपायर ने आउट करार दे दिया। स्लिप में खड़े कैमरन ग्रीन (Cameron Green) ने स्कॉट बोलैंड (Scott Boland) की गेंद पर अपनी बाईं ओर छलांग लगाते हुए अपने बाएं हाथ से कैच पकड़ने का दावा किया। फील्ड अंपायर ने इस निर्णय को थर्ड अंपायर को रेफर किया। रिप्ले को देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि गेंद का कुछ हिस्सा जमीन से टकरा रहा है, मगर थर्ड अंपायर ने कई एंगल से देखने के बाद इसे आउट करार दे दिया।
इस बड़े मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने अपनी दूसरी पारी को 270/8 पर घोषित कर दिया और इसके साथ ही अपनी पहली पारी की 173 रनों की बढ़त में इस स्कोर को जोड़ते हुए भारत के सामने 444 रनों का विशाल लक्ष्य रख दिया।
सॉफ्ट सिग्नल का क्यों नहीं किया गया इस्तेमाल
इस विवादास्पद निर्णय के बाद सभी के मन में एक सवाल उठ रहा था की इस संदेह पूर्ण निर्णय पर मैदानी अंपायरों ने सॉफ्ट सिग्नल क्यों नहीं दिया। तो आपको बता दें कि जून की शुरुआत में, ICC की प्लेइंग कंडीशंस से सॉफ्ट सिग्नल नियंत्रण को हटा दिया गया था, और नए नियम को इंग्लैंड और आयरलैंड के बीच लॉर्ड्स में खेल टेस्ट में लागू किया गया था। इस नए नियम के अनुसार फील्ड पर मौजूद अंपायर किसी भी फैसले को लेने से पहले टीवी अंपायर से सलाह करेंगे। इसकी पुष्टि ICC ने मई में इस बदलाव की घोषणा करते समय की थी।
पुरुष क्रिकेट समिति के सदस्य सौरव गांगुली ने इस नियम के बारे में बात करते हुए बताया कि क्यों इस नियम को हटाया गया। गांगुली ने कहा,
पिछले कई सालों में क्रिकेट कमिटी की मीटिंग में सॉफ्ट सिग्नल पर चर्चा की गई थी। मगर समिति ने इसे विस्तार से विचार किया और निष्कर्ष निकाला कि सॉफ्ट सिग्नल अनावश्यक हैं और कभी-कभी भ्रामक होते हैं, क्योंकि रिप्ले में कैच के संदर्भ में अस्पष्टता दिख सकती है।