सौरव गांगुली को 2010 के आईपीएल सीजन के बाद कोलकाता नाइटराइडर्स की टीम में रिटेन नहीं किया गया था। सौरव गांगुली को टीम से बाहर करने का फैसला टीम के सीईओ वेंकी मौसुर का था। उन्होंने कहा है कि सौरव गांगुली को रिटेन नहीं करने का निर्णय काफी मुश्किल रहा था। उन्होंने कहा कि केकेआर मैनेजमेंट के लिए सौरव गांगुली को टीम में नहीं रखने का निर्णय मुश्किल था।
वेंकी मैसूर ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से यह फैसला लेना मेरे लिए मुश्किल नहीं था क्योंकि मेरा कोई जुड़ाव नहीं था। मैं टीम से एक या दो साल से जुड़ा हुआ होता, तो यह मुश्किल हो सकता था। एक यूट्यूब चैनल के शॉ पर बातचीत करते हुए मैसूर ने कहा कि यह ऐसा था जैसे कोई पूरी तरह से बाहरी आदमी आ रहा हो और मैं वैसे ही था। मैंने महसूस किया कि आयोजकों और मालिकों के लिए मुश्किल था। मुझे मैंडेट दिया गया था इसलिए इस निर्णय का प्रस्ताव मैंने पेश किया।
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सौरव गांगुली की खराब कप्तानी रही
आईपीएल के शुरुआती संस्करण में सौरव गांगुली को कोलकाता नाइटराइडर्स की टीम का कप्तान बनाया गया था। हालांकि इस टीम का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। 2010 के बाद उन्हें कप्तानी से हटाने के अलावा टीम में रिटेन ही नहीं किया गया था। उनके स्थान पर गौतम गंभीर को लाकर टीम का कप्तान बना दिया गया था। इसके बाद सौरव गांगुली पुणे वॉरियर्स इंडिया की टीम में चले गए।
गौतम गंभीर के आने से टीम के प्रदर्शन में भी सुधार आया। केकेआर ने पहली बार आईपीएल का खिताब 2012 में जीत लिया। इसके बाद 2014 के आईपीएल में भी इस टीम ने एक बार फिर शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए दूसरी बार खिताब जीत लिया।
हालांकि अब बात दूसरी है कि वही सौरव गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं और केकेआर मैनेजमेंट और सीईओ को उनकी बात माननी पडती है।