क्रिकेट में आज का दिन: 2003 में जब सौरव गांगुली की कप्तानी में विश्व चैंपियन बनने से चूका था भारत

मैच के दौरान सौरव गांगुली से बात करते हुये आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट

वर्ल्ड कप शुरू होने में अब ज्यादा समय नही बचा है, और कुछ ही दिनों में इसके लिये टीम इंडिया का चयन होना है। वर्ल्डकप का आयोजन भले ही 4 सालों में एक बार किया जाता हो, लेकिन उसकी चर्चा अक्सर क्रिकेट प्रेमियों और खुद खिलाडियों में रहती है। हर खिलाड़ी अपने देश के लिये इस विश्व स्तरीय टूर्नामेंट में खेलना चाहता है।

1983 में कपिल देव की अगुवाई में भारत ने पहली बार वर्ल्डकप जीता था, लेकिन इसके बाद भारतीय टीम वर्ल्डकप में कुछ खास नही कर सकी। 2003 में 20 साल के बाद सौरव गांगुली की नेतृत्व में भारतीय टीम फाइनल में पंहुच गयी तो क्रिकेट प्रेमियों को लगा कि भारत दूसरा वर्ल्ड कप जीतने वाला है, लेकिन आज के दिन खेले गये फाइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया ने भारत को बुरी तरह रौंदते हुये दूसरा वर्ल्ड कप जीतने का सपना ध्वस्त कर दिया।

10 में से 9 मैच जीतकर भारत फाइनल में पंहुचा था, लेकिन फाइनल में भारतीय टीम की बड़ी दुर्दशा हुई। 23 मार्च को खेले गये फाइनल में भारत ने टॉस जीता और टीम के कप्तान सौरव गांगुली ने पहले फील्डिंग करने का फैसला किया। गांगुली का ये फैसला गलत साबित करते हुये ऑस्ट्रेलिया की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के सामने 360 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्‍य रखा दिया। कंगारुओं की ओर से जहां कप्तान रिकी पोंटिंग ने शानदार बैटिंग करते हुए नाबाद 121 गेंदों पर 140 रन बनाए, वहीं एडम गिलक्रिस्ट ने 48 गेंदों पर 57 रनों की पारी खेली। डेमिन मार्टिन ने 84 गेंदों पर 88 रन बनाए थे। इस तरह ऑस्‍ट्रेलिया की पारी निर्धारित 50 ओवर 2 विकेट पर 359 रनों पर समाप्त हुई।

वर्ल्ड कप के फाइनल में ये लक्ष्य किसी भी सूरत में आसान नही था, लेकिन नामुमकिन भी नही था। मगर टीम ने रनों का पीछा करना शुरू किया तो टीम ने पहले ही ओवर में ओपनर सचिन तेंदुलकर का विकेट गंवा दिया। सचिन का विकेट भारत के लिया बड़ा झटका था क्योंकि सचिन उस वक्त शानदार फॉर्म में थे। सचिन के बाद पिच पर आये खिलाड़ी टीम को संभालने में कामयाब नहीं हुए और नियमित अंतराल पर आउट होते गए। हालांकि वीरेंद्र सहवाग ने 81 गेंदों पर 10 चौकों तथा 3 छक्कों की सहायता से 82 रन बनाकर कुछ उम्मीद तो बांधी, लेकिन उनको किसी अन्य खिलाड़ी का साथ नही मिला। राहुल द्रविड़ ने 57 गेंदों पर 47 रनों की पारी खेल कर अपनी ओर से मैच बचाने का प्रयास किया।

अंत में आखिरकार भारत की टीम पूरे 50 ओवर भी नहीं खेल सकी और 39.2 ओवर में 234 रनों पर सिमट गयी। इस तरह ऑस्‍ट्रेलिया को 125 रन की बड़ी जीत हासिल हुई। इस फाइनल मैच में रिकी पोंटिंग को मैन ऑफ़ द मैच चुना गया। पूरे टूर्नामेंट में सर्वाधिक 673 रन बनने वाले भारतीय ओपनर सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ़ द सीरीज़ का सम्‍मान दिया गया।

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Edited by सावन गुप्ता
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