ओपिनियन: आईसीसी टूर्नामेंट्स में शिखर धवन की कामयाबी का राज

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भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन एक जबरदस्त खिलाड़ी हैं। वो जब अपनी लय में होते हैं तो उन्हें रोकना काफी मुश्किल हो जाता है। 33 साल के धवन अब तक 128 वनडे मैच खेल चुके हैं, जिसकी 127 पारियों में उन्होंने 5355 रन बनाए हैं। इस दौरान उनका औसत 44.62 और स्ट्राइक रेट 93.79 का रहा है। उनका सर्वाधिक स्कोर 143 रन रहा है।

धवन तो वैसे काफी बेहतरीन बल्लेबाज हैं और कई मौकों पर वो इस चीज को साबित भी कर चुके हैं लेकिन आईसीसी के टूर्नामेंट में वो एक अलग ही अंदाज में नजर आते हैं। द्विपक्षीय सीरीज में वो उतने लय में नहीं दिखाई देते हैं लेकिन आईसीसी के टूर्नामेंट्स जैसे, चैंपियंस ट्रॉफी और वर्ल्ड कप में वो काफी रन बनाते हैं। धवन ने 2015 के विश्व कप में 8 मैचों में 412 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 137 रनों की शानदार शतकीय पारी भी खेली थी। इंग्लैंड में खेली गई 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी में भी उन्होंने जबरदस्त बल्लेबाजी की थी। उन्होंने उस टूर्नामेंट में 5 मैचों में 90.75 की शानदार औसत से 363 रन बनाए थे।

यही नहीं 2017 के चैंपियंस ट्रॉफी में भी उन्होंने 5 मैचों में 67.60 की औसत से 338 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने आईसीसी टूर्नामेंट्स में सबसे तेज 1000 रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था। उन्होंने महज 16 पारियों में ये आंकड़ा छुआ। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि अब तक आईसीसी की प्रतियोगिताओं में धवन ने जमकर रन बटोरे हैं और वर्ल्ड कप 2019 में भी उनसे इसी तरह के प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। लेकिन क्या कारण है कि आईसीसी टूर्नामेंट्स में शिखर धवन इतने कामयाब रहते हैं।

दरअसल जब आईसीसी की कोई प्रतियोगिता होती है तो उसमें सभी टीमों को एक दूसरे के खिलाफ सिर्फ 1-1 मैच खेलना होता है। सेमीफाइनल या फाइनल छोड़ दें तो सभी टीमें सिर्फ एक-एक बार एक दूसरे से टकराती हैं। शिखर धवन जब बल्लेबाजी करने उतरते हैं तो गेंदबाजों के खिलाफ काफी आक्रामक रवैया अपनाते हैं। सभी टीमों को उनकी कमजोरी का पता नहीं चल पाता है और इसी का फायदा धवन उठाते हैं। लेकिन जब द्विपक्षीय सीरीज होती है तो टीमें एक मैच होने के बाद धवन के कमोजर पक्ष और मजबूत पक्ष का बारीकी से आंकलन करती हैं और अगले मैच में बेहतर रणनीति के साथ उतरती हैं। चुंकि आईसीसी टूर्नामेंट्स में एक टीम से सिर्फ एक ही मैच होता है तो फिर सभी टीमों को अगले मैच तक जाने का मौका ही नहीं मिलता है। यही वजह है कि धवन आईसीसी प्रतियोगिताओं में इतने कामयाब रहते हैं। हालांकि धवन काफी समय से खेल रहे हैं और सभी टीमों के गेंदबाज उनके खिलाफ खेल चुके हैं। ऐसे में देखना ये है कि इस विश्व कप में उनका प्रदर्शन कैसा रहता है।

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