पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज आने का नाम नहीं ले रहा है। आतंकवाद और राजनीतिक मुद्दों के अलावा वह खेल पर भी अपनी गलत छवि डाल रहा है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से पांच अरब रुपये का मुआवजा मांगने के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद में मुकदमा ठोका था। उसका कहना था कि पीसीबी और बीसीसीआई के बीच हुए समझौते का उसने सम्मान नहीं किया है। बीसीसीआई का तर्क था कि वह कोई समझौता नहीं बल्कि महज एक प्रस्ताव था। पीसीबी के मुकदमा हारने के बाद उसकी बहुत फजीहत हो रही है। आर्थिक रूप से कमजोर पीसीबी भारत पर झूठे आरोप लगाकर मोटी रकम वसूलना चाहता था।
पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर पानी तब फिर गया, जब आईसीसी की विवाद समाधान समिति ने भारत के पक्ष में मुकदमा सुना दिया। इस मामले में मुंह की खाने के बाद पीसीबी को मुआवजे के रूप में बीसीसीआई को 11 करोड़ रुपये की राशि देनी पड़ी। पीसीबी के अध्यक्ष अहसान मनी ने कहा कि हमने मुआवजे के मामले में करीब 22 लाख डॉलर खर्च किए थे, जो गंवा दिए। इस मामले में भुगतान की गई राशि के अलावा अन्य कानूनी फीस और यात्रा से संबंधित खर्चे शामिल हैं। पीसीबी ने यह मुकदमा पिछले साल दायर किया था।
पीसीबी का तर्क था कि दोनों बोर्डों ने द्विपक्षीय सीरीज का समझौता किया था, जिसका बीसीसीआई ने सम्मान नहीं किया। इसकी शर्त यह थी कि 2015 से 2023 तक भारत को पाकिस्तान के खिलाफ छह द्विपक्षीय श्रंखलाएं खेलनी थीं, जिसे बीसीसीआई नहीं माना। वहीं, बीसीसीआई का कहना था कि वह पाकिस्तान के लिए सरकार द्वारा अनुमति न मिलने की वजह से खेल नहीं पा रहा है। साथ ही बीसीसीआई ने उस दावे को भी खारिज कर दिया, जिसमें समझौता ज्ञापन को कानूनी रूप से बाध्यकारी बताया गया था। बीसीसीआई का कहना था कि यह कोई समझौता नहीं बल्कि सिर्फ एक प्रस्ताव था। समझौता बताकर पीसीबी सबको गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।
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