दिनेश कार्तिक ने कथित रूप से कोलकाता नाइटराइडर्स की कप्तानी आईपीएल के बीच में छोड़ दी। इनकी जगह इंग्लैंड के ओइन मॉर्गन को कप्तान बनाया गया और यह पूरा घटनाक्रम शुक्रवार को मुंबई इंडियंस के खिलाफ मैच से पहले हुआ। दिनेश कार्तिक इस सीजन आईपीएल के 7 मैचों में कप्तान रहे और 4 मैचों में जीत हासिल की। देखा जाए तो दिनेश कार्तिक का यह रिकॉर्ड खराब नहीं था और टीम टॉप टॉप 4 में थी। ऐसा पहले देखने को नहीं मिला कि अचानक टूर्नामेंट के बीच में खिलाड़ी को कप्तानी छोड़ने का खयाल आता है। दिल्ली कैपिटल्स के लिए गौतम गंभीर ने ऐसा जरुर किया था और वे बाद में टूर्नामेंट में खेले भी नहीं थे।
यहाँ दिनेश कार्तिक का मामला अलग दिखता है। दिनेश कार्तिक को कप्तानी छोड़नी होती तो वह सीजन के सात मैचों में भी यह काम क्यों करते। व्यक्तिगत प्रदर्शन को पीछे रखें, तो टीम का प्रदर्शन कप्तानी छोड़ने जितना खराब नहीं था। इसमें टीम मैनेजमेंट से भी ऊपर यानी मालिकों का हस्तक्षेप हो सकता है। सौरव गांगुली के साथ इसी केकेआर के सीईओ वेंकी मैसूर ने कुछ ऐसा ही किया था। अब भी वह इस पद पर मौजूद हैं।
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दिनेश कार्तिक को शायद हटाया गया है
जब सौरव गांगुली का केकेआर के कप्तान थे उस समय वेंकी मैसूर टीम के सीईओ बनकर आए थे। 2010 के बाद उन्हें कप्तानी से हटाया गया और रिटेन भी नहीं किया। इसके बाद सौरव गांगुली पुणे वॉरियर्स इंडिया की तरफ से खेले थे। जब टीम के सीईओ का सौरव गांगुली जैसे दिग्गज के साथ इस तरह का फैसला कर सकता है, तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि दिनेश कार्तिक के साथ ऐसा नहीं हुआ। दिनेश कार्तिक को हटाने की घोषणा नहीं कर यह खबर फैलाई गई कि कार्तिक ने खुद ही कप्तानी छोड़ दी।
कार्तिक के कप्तानी छोड़ने का कोई कारण नहीं बनता था। अगर 7 मैचों में से 4 मैच जीतने के बाद कोई कप्तान अपने पद से इस्तीफा देता है, तो इस हिसाब से स्टीव स्मिथ, केएल राहुल और महेंद्र सिंह धोनी को तो उनसे पहले ऐसा करना चाहिए था क्योंकि उनकी टीमें केकेआर से भी खराब खेली है। फ्रेंचाइजी मालिकों के फैसले के बिना ऐसा नहीं हो सकता। पूर्व भारतीय कप्तान आकाश चोपड़ा ने भी कहा है कि शायद उन्हें हटाया गया है। प्रज्ञान ओझा भी कार्तिक के इस फैसले पर हैरानी जता चुके हैं।