"शेन वॉर्न हो या 17 साल का बच्चा..." - पीयूष चावला ने अपने डेब्यू टेस्ट को किया याद; केविन पीटरसन को लेकर किया बड़ा खुलासा

Neeraj
Picture Courtesy: X@SudhirA24362887
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Piyush Chawala Statement on Kevin Pietersen: पीयूष चावला का अंतरराष्ट्रीय डेब्यू महज 17 साल की उम्र में हो गया था। उन्होंने अपना पहला टेस्ट मुकाबला 2006 में इंग्लैंड के विरुद्ध मोहाली में खेला था, जिसमें केविन पीटरसन ने जमकर उनकी धुनाई की थी। उस मैच में पीटरसन ने चावला को लेकर कुछ शब्द भी कहे थे, जिसका खुलासा बाएं हाथ के लेग स्पिनर ने किया है।

घरेलू क्रिकेट में शानदार रिकॉर्ड होने के बावजूद पीटरसन ने चावला की पिटाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इंग्लैंड की पहली पारी में जब चावला गेंदबाजी करने उतरे थे, तो उन्होंने पहला ओवर मेडन किया था। इसके बाद उनके दूसरे ओवर में इंग्लिश बल्लेबाज ने एक चौका और एक छक्का उड़ाया था। चावला ने अपने 9 ओवर के स्पेल में बिना कोई विकेट लिए 45 रन खर्च किए थे।

हाल ही में 2 स्लॉगर्स पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान पीयूष चावला ने अपने डेब्यू टेस्ट को याद किया और उन शब्दों का भी जिक्र किया, जो उन्हें लेकर पीटरसन ने अपने बयान में कहे थे। 35 वर्षीय गेंदबाज ने कहा,

मेरे पहले टेस्ट मैच में पीटरसन ने मुझे मैदान के अलग-अलग हिस्सों में मारा और उसके बाद एक बयान दिया था कि चाहे शेन वॉर्न हो या कोई 17 साल का बच्चा, मैं इसी तरह बल्लेबाजी करता हूं'। वह अनुभव मेरे लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्वागत जैसा था। घरेलू क्रिकेट में मैंने लगभग हर दूसरे मैच में पांच विकेट लिए थे। ऐसा लग रहा था कि चीजें बहुत आसान हैं, लेकिन जब मैंने अपना पहला टेस्ट खेला, तो मुझे एहसास हुआ कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट इतना कठिन क्यों है।

हालांकि, इंग्लैंड की दूसरी पारी में चावला ने अच्छी वापसी की थी और एंड्रयू फ्लिंटॉफ का विकेट भी झटकने में सफल रहे थे। इस मुकाबले को टीम इंडिया ने 9 विकेट से जीता था और सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल की थी।

पीयूष चावला ने सीनियर खिलाड़ियों से मिले समर्थन को लेकर भी किया खुलासा

पीयूष चावला ने पॉडकास्ट में आगे बताया कि डेब्यू मुकाबले में उन्हें अपने सीनियर खिलाड़ियों का भरपूर समर्थन मिला था, जो कि हर युवा खिलाड़ी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सभी ने मेरा समर्थन किया था, वह काफी अच्छा था। किसी युवा खिलाड़ी के लिए जो अभी-अभी टीम में आया है, उसके लिए सीनियर्स का समर्थन पाना बहुत महत्वपूर्ण है। सचिन पाजी आए। वीरू भाई ने मुझसे अपने तरीके से बात की। फिर युवी पाजी और माही भाई ने मेरा हौसला बढ़ाया। मैं यह नहीं कह सकता कि वे दोस्त थे क्योंकि वे बहुत सीनियर थे।

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