युवा गेंदबाज रजनीश गुरबानी के बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत विदर्भ ने पहली बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनाकर इतिहास रच दिया है। इस ऐतिहासिक मौके पर अपने गुरु चन्द्रकान्त को खुश देख कर वो रजनीश काफी भावुक भावुक हो गए। गौरतलब है गुरबानी ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई 80 प्रतिशत अंको के साथ पूरी करने के बाद अपना पहला लिस्ट-ए मैच खेला था। उन्होंने बताया कि जब उन्हें विकेट नहीं मिल रहा थे तब वह बहुत हतोत्साहित हो गए थे उन क्षणों में उनके कोच ने उन्हें प्रोत्साहित किया। गुरबानी ने कहा कि मुझे अन्दर से बहुत परेशानी हो रही थी लेकिन मेरे सीनियर खिलाड़ी, कप्तान और चंदू सर ने शांत रहने को कहा। मैच के बाद रजनीश गुरबानी ने कहा कि अंतिम विकेट लेने और चंदू सर की प्रतिक्रिया देखने के बाद मैं काफी भावुक हो गया था। उन्होंने कहा, मैं पूरी रात बहुत घबराया हुआ था, पहले मैं रात को 12:30 बजे उठा और मुझे लगा कि सुबह हो गयी है फिर इसके बाद सुबह 4:30 पर उठा और फिर सो हीं नहीं सका। रजनीश ने आगे कहा कि 5 बजे उठ कर मैं तैयार होने लगा और 6 बजे तक तैयार हो गया। दो बार क्वार्टर फाइनल में हारने के बाद इस बार हम लोग जीत के प्रति काफी प्रतिबद्ध थे। गुरबानी ने टीम इंडिया के तेज गेंदबाज उमेश यादव की भी काफी तारीफ की और कहा कि उमेश भईया के साथ गेंदबाजी करना उनके लिए सपने के सच होने जैसा था, वो एक छोर पर गेंदबाजी कर रहे थे और में उन्हें देख रहा था। उमेश यादव के टीम में रहने से उन्हें काफी मदद मिली और वो उनके प्रेरणास्त्रोत हैं। गौरतलब है रजनीश गुरबानी ने अपने शानदार गेंदबाजी की बदौलत पहली बार विदर्भ को रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचाया। उन्होंने कर्नाटक के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में 12 विकेट चटकाए और उन्हें मैन ऑफ द् मैच भी चुना गया। फाइनल में विदर्भ का मुकाबला दिल्ली की टीम से होगा जो कि बंगाल को हराकर फाइनल में पहुंची है।