भारतीय क्रिकेट टीम के शीर्ष ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने 2010 की आईपीएल की यादों को ताजा किया है। उन्होंने कहा कि 2010 के आईपीएल ने उन्हें कड़ा सबक सिखाया था। उन्होंने बताया कि आईपीएल 2010 में दो मैचों में खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें पता चल गया था कि टी20 में गेंदबाजी करना आसान नहीं होता है और इस वास्तविकता से उन्हें ऐसा लगा था मानो उनके चेहरे पर असलियत का थप्पड़ पड़ा हो।
क्रिकेटर से कमेंटेटर बने संजय मांजरेकर के साथ ESPN Cricinfo के लिये पॉडकास्ट में अश्विन ने बताया कि चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ से खेलते हुए आईपीएल 2010 ने उन्हें किस तरह से प्रभावित किया। उन्होंने आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की मुश्किल परिस्थितियों में खेलने पर बात की और उस समय को याद किया जब दो मैचों में खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें सीएसके की टीम से बाहर कर दिया गया। यह उनके लिये कड़ा सबक था क्योंकि उन्हें लगता था कि स्टीफन फ्लेमिंग ने उनसे बात नहीं की और उन्हें टीम प्रबंधन का पर्याप्त समर्थन नहीं मिला था।
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अश्विन ने कहा कि लोग सोचते थे कि मैं खुद को बहुत अच्छा गेंदबाज मानता हूं लेकिन जब आईपीएल में खेलता हूं तो बुरा प्रदर्शन करता हूं। यह एक तमाचे की तरह था जैसे कोई बोल रहा हो कि तुम यहां के लायक भी नहीं हो।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सोचता था कि प्रथम श्रेणी मैचों की तुलना में टी20 मैच में गेंदबाजी करना आसान होता है, लेकिन फिर मैंने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ मैच खेला जिसमें रॉबिन उथप्पा और मार्क बाउचर ने मेरी गेंदों पर जमकर धुनाई की थी। उन्होंने मुझे कड़ा सबक सिखाया। मुझे लगा कि यह विकेट हासिल करने का अच्छा मौका है। मुझे विकेट तो मिला नहीं लेकिन मैंने 40 या 45 रन लुटाकर अपनी टीम को परेशानी में डाल दिया था। अगला मैच सुपर ओवर तक खिंचा और हम हार गये। मुझे टीम से बाहर कर दिया गया। मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे करारा तमाचा जड़ दिया है।"