आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप 2023 (CWC 2023) का समापन 19 नवंबर को हुआ, जिसके फाइनल मुकाबले में भारत को हार का सामना करना पड़ा। टूर्नामेंट के लिए भारतीय स्क्वाड में आखिरी मौके पर अनुभवी ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) को शामिल किया गया था लेकिन उन्हें सिर्फ एक ही मैच खेलने का मौका मिला, जिससे सभी को काफी हैरानी हुई। हालाँकि, अब दाएं हाथ के स्पिनर ने खुद खुलासा किया है कि उन्हें हालिया वर्ल्ड कप में सिर्फ एक ही मैच खेलने का मौका क्यों मिला।
आर अश्विन को शुरूआती वर्ल्ड कप स्क्वाड में नहीं चुना गया था लेकिन ऑलराउंडर अक्षर पटेल एशिया कप 2023 में लगी चोट के कारण आईसीसी टूर्नामेंट से बाहर हो गए थे। इसी वजह से अश्विन को आखिरी मौके पर स्क्वाड में एंट्री मिली और उन्हें 8 अक्टूबर को भारत ने टूर्नामेंट के अपने पहले मैच में मौका भी दिया था, जिसमें उन्होंने 10 ओवर में 34 रन देकर एक विकेट भी हासिल किया था। हालाँकि, इससे बाद वो सभी मुकाबलों में बेंच पर ही रहे और उनका वर्ल्ड कप का सफर चेन्नई में खेले गए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुकाबले तक ही सीमित रह गया।
हार्दिक पांड्या की इंजरी ने बिगाड़ा खेल
37 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनका वर्ल्ड कप का सफर सिर्फ एक मैच के बाद खत्म हो जायेगा। अश्विन ने खुलासा किया कि उन्हें धर्मशाला में न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच में भारतीय टीम में वापसी करनी थी, लेकिन हार्दिक पांड्या की चोट के कारण भारतीय टीम का कॉम्बिनेशन बदल गया।
अपने यूट्यूब चैनल पर अश्विन ने कहा,
कभी नहीं सोचा था कि चेन्नई में एक मैच खेलने के बाद वर्ल्ड कप में मेरा सफर खत्म हो जाएगा, क्योंकि मैं अच्छी लय में गेंदबाजी कर रहा था। मेरी वापसी धर्मशाला में न्यूजीलैंड के खिलाफ होनी थी लेकिन हार्दिक चोटिल हो गए थे। हार्दिक पंड्या एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे क्योंकि हमारे पास उनकी जगह लेने के लिए कोई ऑलराउंडर नहीं था। इसी वजह से हमें छह गेंदबाजों वाले कॉम्बिनेशन से तीन तेज गेंदबाज और दो स्पिनर्स का कॉम्बिनेशन अपनाना पड़ा।
गौरतलब हो कि हार्दिक पांड्या को 19 अक्टूबर को बांग्लादेश के खिलाफ मुकाबले में एंकल के मुड़ जाने से गंभीर चोट आई थी और वह शुरुआत में कुछ मैचों से बाहर होने के बाद, पूरे टूर्नामेंट से ही बाहर हो गए थे। उनकी गैरमौजूदगी में भारत को सूर्यकुमार यादव को बल्लेबाजी में लाना पड़ा और गेंदबाजी में शार्दुल ठाकुर को बाहर कर स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाज के रूप में मोहम्मद शमी को खिलाना पड़ा, जो बाद में टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे।