साल 2008, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज की शुरुआत मेलबर्न टेस्ट से हुई। बॉक्सिंग-डे टेस्ट में भारत को हार मिली पहले मुकाबले में मिली हार के बाद भारतीय टीम वापसी करना चाहती थी लेकिन दूसरे टेस्ट में भारतीय टीम को अंपायर व मेजबानों के खराब रवैये के कारण हार का सामना करना पड़ा। सिडनी टेस्ट भारतीय क्रिकेट के इतिहास का सबसे खराब टेस्ट रहा। अंपायरों द्वारा खराब फैसले और हरभजन व सायमंड्स के बीच हुआ मंकी गेट विवाद, इन सभी मनमानी और विवादों के कारण सिडनी टेस्ट ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी थी। भारतीय टीम सीरीज में 2-0 से पीछे चल रही थी और टेस्ट सीरीज का तीसरा टेस्ट विश्व की सबसे खतरनाक पिच, पर्थ के वाका स्टेडियम की पिच पर खेला जाना था। भारतीय टीम के सामने इस टेस्ट मैच को जीत कर सीरीज में वापसी करने का मौका था और साथ ही मेजबानों द्वारा खेली गई खराब क्रिकेट का बदला लेना भी जरुरी हो गया था।
पहली पारी में सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ ने भारतीय टीम का परचम लहराया, तो गेंदबाजी में इरफ़ान पठान, आरपी सिंह, युवा गेंदबाज इशांत शर्मा के साथ कप्तान अनिल कुम्बले ने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी 212 रनों पर समेटने में अपना अहम योगदान दिया। भारत की दूसरी पारी में जहाँ सभी बल्लेबाज नाकाम रहे, तो वीवीएस लक्ष्मण एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया के लिए मुसीबत बनकर सामने आये। आखिरी पारी में गेंदबाजों ने फिर से शानदार प्रदर्शन दिखाया लेकिन एक समय पर लग रहा था कि टीम पर हार का दबाव बन गया है, तो कप्तान कुंबले ने सहवाग के रूप में अपना तुरुप का इक्का फेंका, जिन्होंने 2 महत्वपूर्ण विकेट लेते हुए भारत की जीत सुनिश्चित कर दी। भारतीय टीम की पर्थ में रची गई शानदार जीत पर एक नजर डालते हुए याद करते हैं उस मैच को जिसमें सभी खिलाड़ियों ने अपना अहम योगदान दिया और टीम को विजयी बनाया।
सचिन और राहुल की शानदार बल्लेबाजी, भारत 300 के पार
कप्तान अनिल कुंबले ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया, वीरेंदर सहवाग और वसीम जाफर ने भारत के लिए सधी हुई शुरुआत की। सहवाग और जाफर का विकेट एक साथ गिरने के बाद टीम इंडिया पर दबाव बन गया और फिर सचिन तेंदुलकर व राहुल द्रविड़ ने मोर्चा सँभालते हुए तीसरे विकेट के लिए 149 रनों की साझेदारी की और भारत को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया। सचिन ने 71 रनों का योगदान दिया, तो राहुल द्रविड़ बड़ा शॉट खेलने के चक्कर में अपने शतक से चूक गए, द्रविड़ ने 93 रनों की बेहतरीन पारी खेली। मध्यक्रम में वीवीएस लक्ष्मण ने 27, एमएस धोनी ने 19 और इरफ़ान पठान ने महत्वपूर्ण 28 रन बनाते हुए टीम का स्कोर 300 के पार पहुंचा दिया। मिचेल जॉनसन और ब्रेट ली ने शानदार गेंदबाजी करते हुए टीम इंडिया को 330 रनों पर रोक दिया। भारतीय बल्लेबाजों ने बढ़िया बल्लेबाजी की और यहाँ से गेंदबाजों पर दरामोदार आ गया कि वह ऑस्ट्रेलिया को जल्द से जल्द आउट टीम इंडिया को मजबूत बढ़त दिलाएं।
आरपी सिंह की स्विंग और गेंदबाजों का शानदार प्रदर्शन, ऑस्ट्रेलिया पर 118 रनों की बढ़त
मेजबान टीम भारत के 330 रनों की चुनौती का सामना करने के लिए मैदान पर उतरी लेकिन इरफ़ान पठान की धारदार स्विंग गेंदबाजी के आगे टॉप ऑर्डर ने घुटने टेक दिए। एक समय पर ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 61 रनों पर 5 विकेट था लेकिन एंड्रू सायमंड्स व एडम गिलक्रिस्ट ने शतकीय साझेदारी कर मेजबानों की मैच में वापसी करवाई। कप्तान कुंबले ने सायमंड्स को अपनी फिरकी के जाल में फंसाया, उसके बाद भारतीय गेंदबाजों ने घातक रूप अपनाते हुए ऑस्ट्रेलिया को 212 रनों पर समेट दिया। भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट आरपी सिंह ने झटके, उन्होंने 4 ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई। भारतीय टीम ने पहली पारी में 118 रनों की मजबूत बढ़त बनाई और ऑस्ट्रेलिया को मजबूत लक्ष्य देना का अवसर भी मिला।
वीवीएस लक्ष्मण की 'वेरी वेरी स्पेशल' पारी, भारत ने रखा 413 रनों का लक्ष्य
पहली पारी में 118 रनों की बढ़त हासिल करने के बाद भारत के सामने ऑस्ट्रेलिया को चुनौतीपूर्ण लक्ष्य देने की चुनौती थी। वसीम जाफर के रूप में भारतीय टीम को शुरुआत में झटका लगा लेकिन इसके बाद सहवाग (43 रन) और पठान (46 रन) ने पारी को संभाला। पहली पारी के हीरो रहे सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ दूसरी पारी में कमाल नहीं दिखा पाए। मध्यक्रम में गांगुली ने भी अपनी बल्लेबाजी से निराश किया। भारत ने अपने शुरुआती 5 विकेट 125 रनों पर गंवा दिए। वीवीएस लक्ष्मण ने दूसरी पारी की जिम्मेदारी अपने कन्धों पर लेते हुए पहले धोनी और फिर निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ अहम साझेदारी की और भारत का स्कोर 300 के पास पहुंचा दिया। लक्ष्मण (79 रन) के रूप में भारत का आखिरी विकेट 294 रनों पर गिरा और भारत ने ऑस्ट्रेलिया के सामने 413 रनों का लक्ष्य रखा।
पठान की पावर के सामने ऑस्ट्रेलिया पस्त, 72 रनों से भारतीय टीम विजयी
ऑस्ट्रेलियाई टीम 413 रनों का मुश्किल लक्ष्य हासिल करने के लिए मैदान पर एक बार फिर उतरी। इरफ़ान पठान ने पहली पारी की तरह ही दूसरी पारी में भी सलामी बल्लेबाजों को जल्द ही पवेलियन की राह दिखा दी। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पोंटिंग और माइक हसी ने पारी को संभाला लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने लगातार अन्तराल में विकेट झटकते हुए भारत की मैच में वापसी निश्चित कर दी लेकिन एक छोर पर माइकल क्लार्क ने मेजबानों की उम्मीद बनाये रखी। माइकल क्लार्क का विकेट गिरने के बाद भारत को जीत नजर आने लगी लेकिन जॉनसन और स्टुअर्ट क्लार्क ने 70 से अधिक रनों की साझेदारी कर टीम इंडिया के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी। इरफ़ान पठान ने फिर गेंदबाजी की कमान संभाली और क्लार्क को आउट कर भारत को मैच में वापिस ले आये। उसके बाद आरपी सिंह ने ऑस्ट्रेलिया का आखिरी विकेट झटकते हुए भारत को 72 रनों से मुकाबला जीता दिया। इस जीत के साथ भारतीय टीम ने सीरीज में वापसी की और सिडनी टेस्ट के दौरान हुई मनमानी का बदला लेते हुए ऑस्ट्रेलिया टीम को करारा जवाब भी दिया।