सचिन तेंदुलकर को लेकर पूर्व भारतीय खिलाड़ी अजय रात्रा ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि वीरेंदर सहवाग को ओपन कराने के लिए सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली दोनों को श्रेय मिलना चाहिए। रात्रा ने कहा कि सचिन तेंदुलकर नम्बर चार पर खेलने के लिए चले गए इसलिए और वीरेंदर सहवाग को बतौर ओपनर प्रमोट किया।
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में रात्रा ने कहा कि सचिन तेंदुलकर काफी बेहतरीन बल्लेबाजी बतौर ओपनर कर रहे थे लेकिन सहवाग को ओपनिंग कराना था। सचिन तेंदुलकर ने नम्बर चार पर खेलने के लिए कहा तब सहवाग को ओपनिंग में लाया गया। सौरव गांगुली के साथ बाएँ हाथ और दाएँ हाथ का समन्वय स्थापित करने के लिए ऐसा किया गया था। सचिन तेंदुलकर नहीं मानते तो वीरू निचले क्रम में बल्लेबाजी करते। वनडे में उन्हें ओपनर के तौर पर खेलने का मौका नहीं मिलता और कहानी कुछ अलग हो जाती।
यह भी पढ़ें: वनडे क्रिकेट में भारतीय टीम के 3 अद्भुत रिकॉर्ड
सचिन तेंदुलकर की रही अलग भूमिका
अजय रात्रा ने कहा कि नम्बर चार पर खेलते हुए सचिन तेंदुलकर की अलग भूमिका हो गई। उनका काम 45 ओवर तक टिककर खेलना था। यह निर्णय काम कर गया और वीरू टॉप क्रम पर सफल हो गए।
वेस्टइंडीज में सचिन तेंदुलकर ने नम्बर चार पर बल्लेबाजी की। वीरेंदर सहवाग और सौरव गांगुली ओपनर रहे। वही क्रम इंग्लैंड में हुई नेटवेस्ट त्रिकोणीय सीरीज में रहा जिसमें भारतीय टीम ने फाइनल में जीत दर्ज की थी। श्रीलंका में हुई 2002 की चैम्पियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम के लिए सहवाग और गांगुली ने ही बतौर ओपनर बल्लेबाजी की थी। भारतीय टीम को इस टूर्नामेंट में भी संयुक्त विजेता घोषित किया गया था। श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मैच बारिश से धुलने के कारण ऐसा किया गया था। अजय रात्रा भारतीय टीम में 2002 में हो रहे बदलावों के गवाह रहे हैं। उस समय भारतीय टीम में कई विकेटकीपर भी आए थे।
सचिन तेंदुलकर बाद में फिर से बतौर ओपनर बल्लेबाजी करने लगे थे। 2003 के वर्ल्ड कप में सचिन और सहवाग ओपन करते थे और दादा नीचे खेलने के लिए आते थे। यह प्रयोग भी सफल रहा था।