श्रीलंका के पूर्व कप्तान और ऑलराउंडर सनथ जयसूर्या पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई ने क्रिकेट की किसी भी गतिविधि में भाग लेने के लिए दो वर्ष का प्रतिबंध लगा दिया है।
उन पर श्रीलंका में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही जांच में सहयोग न करने का आरोप है। उन्हें आईसीसी केअनुच्छेद 2.4.6 (आईसीसी की जांच में सहयोग ना करना) और अनुच्छेद 2.4.7 (आईसीसी की जांच में बाधा डालना व सबूतों के साथ छेड़छाड़) के तहत दोषी पाया गया है।
जयसूर्या ने यह स्वीकार कर लिया है कि उन्होंने उस फोन को नष्ट करके भ्रष्टाचार निरोधक इकाई की जांच में बाधा डाली। इस फोन को आईसीसी साक्ष्य के तौर पर देख रही थी। आईसीसी ने कहा कि जयसूर्या ने दो वर्ष के प्रतिबंध को स्वीकार कर लिया है। हालांकि उन्हें संहिता के उल्लंघन पर पांच वर्ष की सजा नहीं दी गई क्योंकि उन्हें पिछले अच्छे बर्ताव को ध्यान में रखा गया।
बाएं हाथ के बल्लेबाज और स्पिनर रहे जयसूर्या श्रीलंका की 1996 की विश्व विजेता टीम के सदस्य और टूर्नामेंट के श्रेष्ठ खिलाड़ी भी घोषित किए गए थे। वह दो बार चयन समिति के चेयरमैन भी रहे हैं।
जांच में एसीयू को नहीं मिला कोई सहयोगी फोन
आईसीसी की जानकारी के अनुसार एसीयू अधिकारी एलेक्स मार्शल का मानना था कि जयसूर्या का यह फोन एक जनवरी 2017 से 22 सितंबर 2017 तक की अवधि के दौरान जांच में महत्वपूर्ण हो सकता है। मार्शल ने जांच टीम को जयसूर्या से दो फोनों की मांग करने को कहा गया था।
एसीयू ने 2017 में तीन अलग-अलग तारीखों 22, 23 सितंबर और पांच अक्तूबर को जयसूर्या से पूछताछ की थी। 22 सितंबर को जयसूर्या ने बताया था कि इस अवधि के दौरान उन्होंने दो फोनों का इस्तेमाल किया था लेकिन बाद की जांच में उन्होंने कहा कि उनके पास दो और फोन थे जो खो गए लेकिन दोनों ही फोन इस्तेमाल में नहीं लाए जा रहे थे।
बाद में पांच अक्तूबर को जब जयसूर्या अपने वकील के साथ पेश हुए तो उन्होंने कहा कि वे फोन उन्होंने नष्ट कर दिया है क्योंकि एक निजी वीडियो वायरल हो गया था जिससे वह दबाव में थे।
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