रणजी ट्राफी के फाइनल में हुआ अजीबोगरीब वाक्या, एक ही अंपायर को करनी पड़ी दोनों छोर से अंपायरिंग

फोटो साभार: ट्विटर
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बंगाल और सौराष्ट्र क्रिकेट टीम के बीच सोमवार से रणजी ट्राफी का फाइनल मुकाबला खेला जा रहा है। बंगाल की टीम 13 साल बाद रणजी ट्राफी के फाइनल में प्रवेश कर सकी है और वो बीते 30 साल से कोई भी रणजी ट्राफी का फाइनल मुकाबला नहीं जीत पाई है। वहीं सौराष्ट्र की टीम बीते साल भी फाइनल में पहुंची थी जहां उसे विदर्भ के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।ऐसे में दोनों टीमें इस बार यह मुकाबला जीतने के लिए अपनी जी जान लगा रही है। वहीं इस मुकाबले के पहले दिन और दूसरे दिन कुछ ऐसा हुआ कि जिसके लेकर ज्यादा चर्चा की जा रही है।

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दरअसल, सौराष्ट्र का विकेट गिरने के बाद अंपयार की ओर गेंद उछाली गई जिससे मैदानी अंपायर शमसुद्दीन चोटिल हो गए और मैदान से बाहर चले गए। इसके बाद खिलाड़ियों को एक ही अंपायर से काम चलाना पड़ा। ऐसा नहीं था कि शम्सुददीन के चोटिल होने के बाद किसी दूसरे अंपयर को मैदान पर उनकी जगह नहीं भेजा गया। शमसुद्दीन की जगह मैदान पर पीयूष कक्कड़ को उतारा गया। पीयूष स्थानिय अंपयार है और नियमों के मुताबिक किसी तटस्थ अंपायर को ही मुख्य अंपायर की जिम्मेदारी दी जा सकती है इसलिए उन्होंने सिर्फ स्क्वायर लेग अंपायरिंग की जिम्मेदारी ही दी गई।

मैच के दूसरे दिन केएन अनंतपदमनाभन दोनों छोड़ से अंपायरिंग करते नजर आए। गौरतलब हो, ऐसी स्थिति में जब कोई मैदानी अंपायर चोटिल होता है या फिर किसी अन्य कारण से वो उपस्थित नहीं हो पाता है तो ऐसे में एक अधिकारी, जो खेल के दौरान अंपायरों और रेफरी के लिए संपर्क अधिकारी होता है, उसके मैदान पर स्क्वायर लेग अंपायरिंग की भूमिका निभाने के लिए कहा जाता है। यह व्यक्ति आमतौर पर एक स्थानीय अंपायर होता है जो राज्य संघ के निर्णय से मैच में शामिल होता है। मैच के तीसरे दिन हालांकि यशवंत बार्डे ने अंपायिंग की जिम्मेदारी संभाली।

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Edited by मयंक मेहता
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