मैं शानदार विदाई का हक़दार हूं: शाहिद आफ़रीदी

विश्व क्रिकेट में कई खिलाड़ी आये और गए पर लम्बे अरसे से चल रहे इस क्रिकेट के खेल में कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें दुनिया आज भी याद करती है। ऐसे खिलाड़ियों के अंतिम मैच जिसे फेयरवेल मैच भी कहते हैं को देखने के लिए समर्थक काफी मात्रा में मैदान में जमा हो जाते हैं। क्रिकेट को इतना कुछ देने वाले इन खिलाड़ियों को उनका बोर्ड भी सम्मान पेश करता है और ऐसा कई बार देखने को मिला है कि अपने अंतिम मैच में खिलाड़ियों ने समर्थकों का दिल जीतने का पूरा प्रयास किया है। हाल में कई खिलाड़ियों ने क्रिकेट से संन्यास लिया है और कुछ ऐसे भी खिलाड़ी हैं जो आने वाले वक़्त में संन्यास लेने वाले हैं। ऐसे ही इन खिलाड़ियों में एक नाम उस बड़े खिलाड़ी का है जिसने पकिस्तान क्रिकेट को काफी बुलंदियों तक पहुँचाया है। बूम बूम आफरीदी के नाम से मशहूर पाकिस्तानी हरफनमौला खिलाड़ी शाहिद आफरीदी अपने संन्यास के काफी करीब आ चुके हैं। कुछ समय पहले पकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी शाहिद आफरीदी को संन्यास लेने का सुझाव दिया था। “हमारे यहां खिलाड़ियों के संन्यास का कोई चलन नहीं है जिनसे खिलाड़ियों के लिए ये फैसला लेना मुश्किल हो जाता है कि कब उन्हें क्रिकेट को अलविदा कह देना चाहिए। मेरा मानना है कि जिन्होंने देश के लिए इतना कुछ किया है उन्हें कम से कम एक सम्मानजनक विदाई तो मिलनी चाहिए”: शाहिद आफरीदी आफरीदी ने साल 1996 में नैरोबी में केन्या के विरुद्ध एक वनडे मैच के दौरान अपना डेब्यू किया था। बूम बूम आफरीदी के नाम से मशहूर इस हरफनमौला खिलाड़ी के नाम सभी फ़ॉर्मेट को मिलकर कुल 523 अंतर्राष्ट्रीय मैच दर्ज है, ऐसा करने वाले आफरीदी दुनिया के छठे खिलाड़ी हैं। आफरीदी का कहना है कि “मैंने इंजी भाई (इंज़माम-उल-हक़) जो मुख्य चयनकर्ता भी हैं उसने काफी देर इस मुद्दे पर बात भी की और हमने मिलकर ये फैसला किया है कि जो भी पकिस्तान क्रिकेट और आफरीदी के लिए सही होगा वो फैसला लिया जायेगा”। इन सब बातों के बाद अब देखना ये है कि जिस खिलाड़ी ने पकिस्तान क्रिकेट को इतना कुछ दिया है पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड उस खिलाड़ी के लिए कोई सम्मानजनक विदाई रखता है या नहीं। इससे एक बात तो तय है कि अब ऐसा लग रहा है के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में बूम बूम आफरीदी की गूंज शायद ही अब कभी स्टेडियम या टीवी पर सुनाई दे।