क्रिकेट में हमने अक्सर देखा है कि कुछ खिलाड़ी शुरुआत में इस क्षेत्र में अपना करियर नहीं बनाना चाहते थे लेकिन बाद में उन्होंने बतौर क्रिकेट खिलाड़ी जबरदस्त सफलता हासिल की। कुछ इसी तरह की कहानी बांग्लादेश (Bangladesh Cricket Team) के दिग्गज ऑलराउंडर शाकिब अल हसन (Shakib Al Hasan) की है। शाकिब ने एक दिलचस्प खुलासा करते हुए बताया कि उन्होंने बचपन में कभी भी क्रिकेटर बनने के बारे में नहीं सोचा था क्योंकि उनके परिवार में अधिकतर लोग फुटबॉल से जुड़े हुए थे। उन्होंने आगे बताया कि 1997 में बांग्लादेश ने जब आईसीसी ट्रॉफी जीती, तब उनकी रूचि इस खेल में बढ़ी।
शाकिब अल हसन आज के समय में दुनिया के सबसे बेहतरीन ऑलराउंडर्स में शामिल किये जाते हैं तथा इन्हें बांग्लादेश का सबसे सफल खिलाड़ी कहा जा सकता है। उन्होंने 58 टेस्ट, 215 वनडे और 90 से अधिक टी20 में देश का प्रतिनिधित्व किया है। शाकिब के नाम 12,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय रन तथा 600 से अधिक विकेट दर्ज हैं।
शाकिब के अनुसार, वह भी अन्य बच्चों की तरह बड़े होकर एक डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते थे। स्पोर्ट्सकीड़ा से बात करते हुए शाकिब ने अपने शुरूआती दिनों को याद करते हुए कहा,
मैं फुटबॉल से जुड़े बैकग्राउंड से आया था। मेरे पिता हमारे जिले के लिए खेलते थे और मेरे चचेरे भाई बांग्लादेश की टीम के लिए खेलते थे। हमारे परिवार में हमेशा से ही फुटबॉल मौजूद था।
आईसीसी ट्रॉफी जीत के बाद क्रिकेट में मेरी रुचि बढ़ी - शाकिब अल हसन
शाकिब ने स्वीकार किया कि 1997 में बांग्लादेश के द्वारा आईसीसी ट्रॉफी जीत के बाद ही उनका ध्यान क्रिकेट की ओर गया। उन्होंने आगे कहा,
1997 में, जब बांग्लादेश ने आईसीसी ट्रॉफी जीती, हम सड़कों पर निकले, रंगों से खेले। तभी से मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया। ऐसा कभी नहीं था कि मैं इसे एक पेशे के रूप में अपनाना था। लेकिन ऐसा हुआ। मेरे पिता एक सरकारी कर्मचारी हैं। हम मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि से आते हैं। मेरा सपना था कि मैं मेहनत से पढ़ाई करूं और डॉक्टर, इंजीनियर या प्रोफेसर बनूं।
1997 में कार्ल्सबर्ग आईसीसी ट्रॉफी के फाइनल में बांग्लादेश ने डकवर्थ लुईस नियम के तहत केन्या को दो विकेट से हराकर शानदार जीत दर्ज की थी।