भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने कहा कि भारतीय क्रिकेट (India Cricket team) इस समय सुरक्षित हाथों में हैं। उनके पुराने टीम के साथी राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) और वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman) प्रभावी पदों पर अपना पूरा समर्पण दे रहे हैं। द्रविड़ राष्ट्रीय टीम के हेड कोच बने जबकि लक्ष्मण एनसीए अध्यक्ष बने हैं।
गांगुली जब कैब अध्यक्ष थे तब उन्होंने लक्ष्मण की राज्य ईकाई के पाइलेट प्रोजेक्ट विजन 2020 के लिए सेवा ली थी। गांगुली को लक्ष्मण के जूनियर खिलाड़ियों के साथ काम करने की क्षमता के बारे में पता है।
गांगुली ने पीटीआई से कहा, 'मैं उनके लिए खुश हूं कि एक हेड कोच बना और दूसरा एनसीए अध्यक्ष क्योंकि भारतीय क्रिकेट में ये दोनों पद सबसे महत्वपूर्ण हैं।' अपने खेलने वाले दिनों में द्रविड़ और लक्ष्मण दोनों के साथ करीब से काम करने वाले गांगुली ने कहा कि भारतीय क्रिकेट में अहम पदों को अपनाने के लिए उन्हें पूर्व टीम साथियों को राजी करने में ज्यादा मुश्किल नहीं हुई।
गांगुली ने कहा, 'आप उनसे कहिए कि यह महत्वपूर्ण है और वह राजी हो गए। हम उन दोनों को पाकर बहुत खुश हैं और भारतीय क्रिकेट सुरक्षित हाथों में हैं। भावुकता से ज्यादा मैं इससे खुश हूं कि दोनों राजी हो गए और भारतीय क्रिकेट के लिए ये करना चाहते हैं।'
गांगुली के मुताबिक लक्ष्मण के एनसीए अध्यक्ष बनने से बड़ा फर्क आएगा क्योंकि वो शानदार व्यक्ति हैं, जिनका भारतीय क्रिकेट में ऊंचा कद है। बीसीसीआई अध्यक्ष ने कहा, 'लक्ष्मण के समर्पित करने की क्षमता के कारण हमने उन्हें चुना। वह शानदार व्यक्ति हैं, जिनके साथ काम करने में मजा आता है। उस दृष्टिकोण से भारतीय क्रिकेट में उनका कद सबसे अलग है। राहुल ने एनसीए में प्रणाली बनाई और इससे लक्ष्मण को आगे का काम करने में मदद मिलेगी।'
लक्ष्मण के लिए बहुत बड़ा बदलाव: सौरव गांगुली
बीसीसीआई अध्यक्ष ने कहा कि लक्ष्मण ने भारतीय क्रिकेट को अपनी सेवा देने के लिए आईपीएल मेंटरशिप अनुबंध, कमेंट्री करार और कई संस्थानों के लिए लिखने वाले कॉलम के करार को छोड़ दिया है।
गांगुली ने कहा, 'वीवीएस लक्ष्मण अगले तीन साल के लिए हैदराबाद से बेंगलुरु शिफ्ट हो रहे हैं ताकि भारतीय क्रिकेट को अपनी सेवाएं दे सके। यह शानदार है। निश्चित ही उनकी कमाई में गिरावट आएगी, लेकिन वह फिर भी राजी हुए। उनकी पत्नी और बच्चे भी बेंगलुरु शिफ्ट होंगे। उनके बच्चे अब बेंगलुरु में जाकर पढ़ेंगे और एक परिवार में इस तरह का बदलाव बहुत बड़ा होता है। यह तब बिलकुल आसान नहीं अगर आप भारतीय क्रिकेट के लिए समर्पित नहीं होते।'